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भगवान राम ने आखिर अपना केस कैसे लड़ा, ये है दिलचस्प कहानी

अयोध्या केस में भगवान राम (रामलला) भी इंसान की ही तरह पक्षकार के रूप में थे. जब इस मामले में रामलला विराजमान (Ram Lala Virajman) को एक पक्षकार के रूप में शामिल करने की अर्जी दी गई तब इसका किसी ने विरोध नहीं किया था.

अयोध्या केस में भगवान राम (रामलला) भी इंसान की ही तरह पक्षकार के रूप में थे. जब इस मामले में रामलला विराजमान (Ram Lala Virajman) को एक पक्षकार के रूप में शामिल करने की अर्जी दी गई तब इसका किसी ने विरोध नहीं किया था.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

अयोध्या केस में भगवान राम (रामलला) भी इंसान की ही तरह पक्षकार के रूप में थे. जब इस मामले में रामलला विराजमान (Ram Lala Virajman) को एक पक्षकार के रूप में शामिल करने की अर्जी दी गई तब इसका किसी ने विरोध नहीं किया था. 1 जुलाई 1989 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला विराजमान को इस केस में पार्टी के तौर पर शामिल करने को कहा था. जानकारी के मुताबिक फैजाबाद की अदालत में रामलला विराजमान की तरफ से दावा पेश किया गया था. तब सिविल कोर्ट के सामने इस विवाद से जुड़े चार केस पहले से ही चल रहे थे.

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जुलाई 1989 में ये सभी पांच मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ट्रांसफर कर दिए गए थे. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज करके विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया. रामलला विराजमान को सबसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पार्टी के रूप में माना था.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2010 में अयोध्या की विवादित जमीन को तीन पक्षों- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में बांटने के लिए कहा गया था. रामलला नाबालिग हैं, इसलिए उनके मित्र के तौर पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज देवकीनंदन अग्रवाल ने लड़ा.

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अग्रवाल के निधन के बाद विश्व हिंगू परिषद (विहिप) के त्रिलोकी नाथ पांडेय ने रामलला विराजमान की ओर से पक्षकार के रूप में कमान संभाली. जब सुप्रीम कोर्ट में लगातार 40 दिनों तक सुनवाई चली तो रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ वकील के. पारासरन पैरवी कर रहे थे.

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हालांकि रामलला के पक्षकार बनने की कहानी और भी दिलचस्प है. हिंदू मान्यता के अनुसार जिस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है उसे हिंदू मान्यताओं में जीवित इकाई के तौर पर देखा जाता है. हालांकि रामलला की मूर्ति नाबालिग मानी गई. देवकीनंदन ने कहा कि रामलला को पार्टी बनाया जाए. क्योंकि विवादित जमीन पर स्वयं रामलला विराजमान हैं. इसी दलली को मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामलला विराजमान को पार्टी पक्षकार माना.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

Ayodhya Case Ramlala virajman Ayodhya
      
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