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जेटली का UP से ये खास नाता नहीं जानते होंगे आप

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री व रक्षामंत्री रहे अरुण जेटली अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता कहलाएंगे. उनका उत्तर प्रदेश से भी गहरा नाता रहा है.

Updated on: 25 Aug 2019, 06:46 AM

highlights

  • शनिवार को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का हुआ निधन
  • उत्तर प्रदेश से वह राज्यसभा सांसद बने थे
  • नरेंद्र मोदी सरकार के बेहद महत्वपूर्म मंत्री थे जेटली

लखनऊ:

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वित्तमंत्री व रक्षामंत्री रहे अरुण जेटली अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिवंगत नेता कहलाएंगे. उनका उत्तर प्रदेश से भी गहरा नाता रहा है. पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा भेजा था. उन्होंने सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली को अपना नोडल जिला चुना था.

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जेटली के प्रतिनिधि और भाजपा प्रवक्ता हीरो वाजपेयी ने आईएएनएस को बताया कि रायबरेली के विकास के लिए पूर्व वित्तमंत्री लगातार चिंतित रहते थे. जेटली मानते थे कि कांग्रेस के गढ़ रायबरेली को विकास की अभी भी बहुत जरूरत है. उन्होंने नोडल जिला रायबरेली के लिए अपनी सांसद निधि से 250 सोलर लाइट लगाने का पत्र जिलाधिकारी को लिखा था. इस कार्य के लिए उन्होंने सांसद निधि से ढाई करोड़ रुपये खर्च किए थे.

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प्रदेश प्रवक्ता वाजपेयी ने कहा, "जेटली ने रायबरेली के लिए विकास योजनाओं के प्रस्ताव भी मांगे थे. उनकी बीमारी के कारण तय तारीख से एक सप्ताह पहले सौ सोलर लाइट लगाने का प्रस्ताव बनकर विकास भवन पहुंचा था. बीमारी के कारण बहुत सारे काम अटके हुए थे. उनकी सोच विकास पुरुष जैसी थी."

हीरो वाजपेयी बताते हैं कि अरुण जेटली का लखनऊ से गहरा संबंध था. वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव प्रचार से जुड़े रहते थे. वह अटल जी के नामांकन से एक दिन पहले ही आ जाते थे और नामांकन पत्र की खुद ही बारीकी से जांच करते थे. वह नामांकन के समय अधिवक्ता की हैसियत से मौजूद रहते थे. वकीलों के बीच जाकर वह भाजपा के लिए वोट मांगते थे. साल 2007-09 में वह भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी भी बनाए गए थे.

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उन्होंने बाताया कि जेटली ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए उप्र में विद्यार्थी परिषद के लिए काफी काम किया था. यहां पर होने वाले छात्रसंघ चुनाव में प्रचार और मंत्रणा के लिए वह जरूर आते थे.

उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य रहे जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यक्रम में देश को हर मोर्चे पर अपनी उपयोगी राय दी थी. खराब स्वास्थ्य के कारण ही उन्होंने इस बार नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था.

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28 दिसंबर, 1952 को जन्मे अरुण जेटली ने 24 अगस्त, 2019 को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली. वे 66 साल के थे. सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ अरुण जेटली की पहचान सर्वोच्च न्यायालय के एक बेहद सफल वकील के रूप में भी रही है.