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लव जिहाद कानून: धर्मांतरण अध्यादेश पर सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को लगा झटका

धर्मांतरण अध्यादेश पर उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. एससी ने यूपी सरकार की ट्रांसफर याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि धर्मांतरण मामले में योगी सरकार की तरफ से एससी में ट्रांसफर करने की याचिका डाली गई थी. 

Updated on: 25 Jan 2021, 03:04 PM

नई दिल्ली:

धर्मांतरण अध्यादेश पर उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. एससी ने यूपी सरकार की ट्रांसफर याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि धर्मांतरण मामले में योगी सरकार की तरफ से एससी में ट्रांसफर करने की याचिका डाली गई थी.  सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद मामलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट इस मामले पर गौर कर रहा है तो हम किस आधार पर उसे यहां ट्रांसफर करें और हम चाहेंगे कि हाई कोर्ट इस पर फैसला दें. 

बता दें कि यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दायर कर इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित लव जिहाद के अलग-अलग मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी.

गौरतलब है कि याचिकाओं में धर्मांतरण विरोधी कानून को संविधान के खिलाफ और गैरजरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति की निजी पसंद व शर्तो पर व्यक्ति के साथ रहने व मत अपनाने के मूल अधिकारों के विपरीत है. यह निजी स्वतंत्रता के अधिकार का हनन करता है. इसे रद किया जाए. इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है.

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राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है, जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है. इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता, वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है. इससे छल-छद्म के जरिये धर्मांतरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गई है.

ज्ञात हो कि यूपी सरकार ने जो लव जिहाद से जुड़ा अध्यादेश लागू किया है, उसको लेकर याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने इस अध्यादेश को गैर-जरूरी और गैर-संविधानिक करार दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भी लव जिहाद से जुड़े इस अध्यादेश को लेकर सुनवाई हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को इस मामले में नोटिस दिया है. सुप्रीम कोर्ट इन अध्यादेशों की सांविधानिकता को परखेगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया था.