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यूपी विधान परिषद में हंगामे के बीच धर्मातरण-रोधी विधेयक पास

लव जिहाद पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2021 विधान परिषद से पास हो गया. सपा द्वारा चल रहे भारी हंगामे के बीच यह विधेयक विधान परिषद से पास हो गया. इस पर राज्यपाल की मुहर लगनी है.

Updated on: 26 Feb 2021, 01:00 AM

लखनऊ :

लव जिहाद पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2021 विधान परिषद से पास हो गया. सपा द्वारा चल रहे भारी हंगामे के बीच यह विधेयक विधान परिषद से पास हो गया. इस पर राज्यपाल की मुहर लगनी है. उत्तर प्रदेश विधान मंडल बजट सत्र के दौरान योगी आदित्यनाथ सरकार ने 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने के लिए लाए गए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021 को विधानसभा में बुधवार को पास कराया था. सरकार ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के भारी हंगामे के बीच यह विधेयक विधान परिषद से भी पास करा लिया है.

सपा के सदस्यों ने वेल में आकर विधेयक की प्रतियां फाड़कर सभापति पर फेंकीं. इस पर सदन की कार्यवाही दस मिनट तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई तो फिर से हंगामा शुरू हो गया. इस पर 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही फिर से स्थगित करनी पड़ी.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर, 2020 को उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश जारी किया था, जिसे योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने 24 नवंबर, 2020 को मंजूरी दे दी थी. इस कानून के जरिए सूबे में छल-कपट या जबरन कराए गए धर्मातरण के मामलों में एक से 10 वर्ष तक की सजा का प्राविधान है.

यूपी के नए कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है. इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है. इसका मतलब है कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार करके पूछताछ कर सकती है. तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहर सुख-सुविधा का लालच देकर भी धर्म परिवर्तन कराना अपराध है. धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के माता-पिता या रिश्तेदार भी केस दर्ज करा सकते हैं. अध्यादेश में सामान्य तौर पर अवैध धर्म परिवर्तन पर पांच साल तक की जेल और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति की नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. पहले पहले के धर्म में दोबारा अपनाने को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा. अवैध धर्म परिवर्तन कराने का दोबारा दोषी पाए जाने पर सजा दो गुनी हो जाएगी.