UP: कोरोना काल में दिख रही सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल, मुस्लिम युवकों ने कराया एक हिंदू का अंतिम संस्कार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से भी एक ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल पेश करती हैं.
highlights
- कोरोना में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल
- मुस्लिमों ने कराया हिंदू का अंतिम संस्कार
- नहीं आया था मृतक का कोई नाते-रिश्तेदार
गाजियाबाद:
कोरोना का संक्रमण से हर कोई बेहाल है. कोरोना के इस संक्रमण काल में संक्रमित परिवारों के लिए खून के रिश्ते भी लाचार हो रहे हैं. इस दौर में 'अपने' दूर रह रहकर कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं. वहीं अनजान चेहरे मददगार बन रहे हैं. अनजान फरिश्ते बन खून के रिश्ते पर भारी पड़ रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में लोग आशंकित जरूर हैं, लेकिन मदद के लिए आगे भी आ रहे हैं. कोरोना काल में लोगों की मदद में धर्म और जाति की दीवारें भी छोटी पड़ रही हैं. हर कोई एक-दूसरे की मदद की खातिर बढ़-चढ़कर आगे आ रहे हैं और कई स्थानों पर तो सांप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल भी देखने मिल रही है.
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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई हैं, जो सांप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल पेश करती हैं. गाजियाबाद में जब परिजनों-रिश्तेदारों में से कोई भी एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के लिए नहीं आया तो मुस्लिम युवकों ने अपने कंधों पर उस व्यक्ति को मुक्ति धाम तक पहुंचाया. मुस्लिम युवकों ने ही उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार तक कराया.
दरअसल, डासना में एक युवक की कोरोना से मौत हो गई थी. परिवार के सभी लोग बीमार होने की वजह से अंतिम संस्कार को आगे नहीं आ पाए. कोरोना की वजह से रिश्तेदारों ने उसकी अर्थी को कंधा नहीं दिया. आलम यह था कि उनके अंतिम संस्कार के लिए घर से शव को श्मशान घाट तक लेने की बात आई तो परिचित और पड़ोसी भी सामने नहीं आए. लेकिन जब ये बात आसपास के लोगों को लगी तो मुस्लिम युवकों ने आगे बढ़कर इस नेक काम को कर युवक का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति रिवाज से कराकर इंसानियत का परिचय दिया. अब इस इंसानियत के कार्य के लिए पूरे इलाके में इन मुस्लिम युवकों की जमकर तारीफ हो रही है.
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हालांकि इसी तरह की तस्वीरें देश के अन्य हिस्सों से भी कोरोना के इस संकट काल में लगातार सामने आ रही हैं. कोरोना ने एक तरफ जहां अपनों के बीच दूरी बढ़ाने का काम किया है तो दूसरी तरफ अनजान लोगों को जुड़ने का भी. जहां हिंदू वर्ग के लोग मुस्लिम के अंतिम संस्कार में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं तो वही मुस्लिम समाज के लोग हिंदुओं के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रहे हैं. कुल मिलाकर के देखें तो कोरोना काल में सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी देखने को मिल रही है.
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