हाईकोर्ट का पुलिस अधिकारियों को निर्देश- न करें रूटीन गिरफ्तारी

छोटे अपराधों में कार्रवाई से पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी: Allahabad High Court

छोटे अपराधों में कार्रवाई से पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी: Allahabad High Court

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Mohit Sharma
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Allahabad High Court

Allahabad High Court( Photo Credit : सांकेतिक चित्र)

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने  प्रदेश की पुलिस ( UP Police ) को निर्देश दिया है कि सात वर्ष की सजा वाले अपराधों व छोटी घटनाओं में कार्रवाई करने से पूर्व व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच में संतुलन बनाने की कोशिश करें. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court )  के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के रूटीन तरीके नहीं अपनाने चाहिए. कोर्ट ने यह आदेश नोएडा में तैनात एक  ट्रैफिक पुलिस  की अर्जी को आंशिक रूप से मंजूर करते हुए दिया है.

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यह आदेश न्यायमूर्ति डा. के जे ठाकर ने आरक्षी वीरेन्द्र कुमार  यादव की याचिका को  निस्तारित करते हुए निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि याची के साथ किसी भी प्रकार की बलपूर्वक कार्रवाई न की जाय.  याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची की नोएडा में वीवीआईपी ड्यूटी थी. उसने अपने ड्यूटी के स्थान पर सही ड्यूटी की. बाद में पता चला कि एक ही समय में उसकी दो जगह ड्यूटी लगा दी गई थी. याची पर आरोप लगाया गया कि दो जगह ड्यूटी लगाने को लेकर हेड कान्सटेबिल (शिकायत कर्ता ) के  साथ याची ने मारपीट किया. इस घटना को लेकर याची के खिलाफ थाना- सेक्टर 20 नोएडा में वर्ष 2018 में आईपीसी की धारा 332,323,504 व 506 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज हुआ. अधिवक्ता का कहना था कि कि याची की इसमें कोई गलती नहीं थी.

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पुलिस ने याची के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. जिसे पूर्व में चुनौती दी गई थी. परन्तु कोर्ट ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया था कि याची कोर्ट में उचित समय पर डिस्चार्ज अर्जी दे और कोर्ट उस पर सकारण आदेश पारित करेगी . याची ने हाईकोर्ट में दुबारा याचिका दाखिल कर निचली अदालत द्वारा डिस्चार्ज अर्जी खारिज कर देने के आदेश को चुनौती दी थी. कहा गया था कि याची सरकारी नौकरी में है और यदि वह गिरफ्तार कर लिया गया तो उसे अपूरणीय क्षति होगी. कहा गया था कि उस पर लगी सभी धाराएं सात वर्ष से कम के सजा की हैं.

HIGHLIGHTS

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पुलिस को दिया निर्देश
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता व सामाजिक व्यवस्था के बीच में संतुलन बनाने की कोशिश करें
  • पुलिस को ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के रूटीन तरीके नहीं अपनाने चाहिए
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