आदेश का पालन करने में देरी की अधिकारियों की टैक्टिस पर कोर्ट सख्त

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन करने में देरी की टैक्टिस अपनाना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. नोटिस जारी होने से स्पष्ट है कि आदेश की जानकारी सरकार को हो चुकी है और उम्मीद की जाती है कि आदेश का पालन किया जाएगा.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
HC

Allahabad High Court( Photo Credit : File Photo)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन करने में देरी की टैक्टिस अपनाना राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. नोटिस जारी होने से स्पष्ट है कि आदेश की जानकारी सरकार को हो चुकी है और उम्मीद की जाती है कि आदेश का पालन किया जाएगा. 2017 में फैसला हुआ, पांच साल बीतने के बाद भी गरीब वादकारी को फैसले का लाभ अधिकारियों की कारस्तानी की वजह से नहीं मिल सका. न केवल याची को परेशान किया गया अपितु कोर्ट के कीमती समय की बर्बादी हुई. विपक्षी डीआईजी स्थापना प्रयागराज राकेश शंकर 31 मार्च 21 को सेवानिवृत्त हो गए, मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति के फैसले का पालन नहीं किया गया. कोर्ट को हलफनामा दाखिल कर नहीं बताया जा सका कि विपक्षी सेवानिवृत्त हो गया है और उसके स्थान पर नया अधिकारी तैनात नहीं हुआ है.

Advertisment

कोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल को पक्षकार बनाने की अनुमति देते हुए उन्हें डीआईजी स्थापना के न होने पर 21अप्रैल को हाजिर होने का निर्देश दिया है, ताकि वे अपने मातहत अधिकारियों की कार्यप्रणाली को जान सकें. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने आलोक कुमार की अवमानना याचिका पर दिया है. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम, कृष्ण जी शुक्ल व अति प्रिया गौतम ने पक्ष रखा.

मालूम हो कि हाईकोर्ट ने डीआईजी स्थापना प्रयागराज को याची की मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति पर 21 दिसंबर 17 को दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया था. आदेश का पालन न होने पर दाखिल अवमानना याचिका पर डीआईजी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची की नियुक्ति कर दी गई है. 27 मार्च 19 को एसपी फतेहगढ़ ने एसपी स्थापना प्रयागराज को पत्र लिखकर जानकारी दी है.

याची ने कहा कि उसे अभी तक नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया है, जिसे कोर्ट ने प्रथमदृष्टया अवमानना माना और डी आई जी से पूछा कि क्यों न अवमानना आरोप निर्मित किया जाए. सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि डीआईजी स्थापना राकेश शंकर 31 मार्च 21 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उस पद पर किसी की तैनाती न होने से हलफनामा दाखिल नहीं किया जा सका है.

कोर्ट ने कहा कि याची से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह विभाग पर हर क्षण निगाह रखे. किसी अधिकारी का तबादला हो, या सेवानिवृत्त हो, और नया अधिकारी कार्यभार संभाले, तो वह उसे पक्षकार बनाने की कोर्ट तक दौड लगाए. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी कोर्ट आदेश का पूर्णतया पालन न करने और लटकाए रखने की टैक्टिस अपनाते हैं. वादकारियों को परेशान करते हैं और कोर्ट के कीमती समय को बर्बाद करते हैं. समय से आदेश का पालन नहीं करते।इसे माफ नहीं किया जा सकता, इसलिए डीआ जी स्थापना के न रहने की स्थिति में डीजीपी उप्र लखनऊ 21 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर हो.

Source : Manvendra Pratap Singh

allahabad high court UP DGP Mukul Goyal Allahabad HC strict UP DGP Yogi Government Up government
      
Advertisment