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सिर्फ आर्य समाज से जारी सर्टिफिकेट के आधार पर नहीं मानी जाएगी शादी: HC

आर्य समाज में होने वाली शादियों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाया है. हाईकोर्ट का कहना है कि आर्य समाज से जारी होने वाले सर्टिफिकेट के आधार पर किसी को विवाहित नहीं माना जा सकता है.

Updated on: 06 Sep 2022, 07:59 AM

highlights

  • दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया
  • आर्य समाज के वैवाहिक प्रमाण पत्रों को लेकर यह तल्ख टिप्पणी की
  • आर्य समाज संस्था ने विवाह को लेकर मिले अधिकारों का दुरुपयोग किया: HC

प्रयागराज:

आर्य समाज में होने वाली शादियों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt)  ने बड़ा निर्णय सुनाया है. हाईकोर्ट का कहना है कि आर्य समाज से जारी होने वाले सर्टिफिकेट के आधार पर किसी को विवाहित नहीं माना जा सकता है. हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आर्य समाज संस्था ने विवाह को लेकर मिले अधिकारों का दुरुपयोग किया है. गाजियाबाद से जुड़े एक मामले में जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की सिंगल बेंच ने आर्य समाज के वैवाहिक प्रमाण पत्रों को लेकर यह तल्ख टिप्पणी की है. जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी के अनुसार, आर्य समाज से विवाह प्रमाण पत्र जारी होने की लाइन लगी हुई है. सिर्फ आर्य समाज के प्रमाण पत्र के आधार पर  किसी को भी विवाहित नहीं माना जा सकता है. 

अदालत ने याचिका की खारिज

जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने आर्य समाज के प्रमाणपत्र के आधार पर याचिकाकर्ता को विवाहित नहीं माना है. कोर्ट ने पति द्वारा अपनी पत्नी को वापस पाने के लिए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया. दरअसल भोला सिंह ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर पत्नी को वापस दिलाने की डिमांड की थी.  याचिका में आर्य समाज मंदिर का विवाह सर्टिफिकेट और तस्वीरों को पेश किया गया. इस पर कोर्ट ने कहा कि संस्था द्वारा विवाह प्रमाण पत्र जारी करने की बाढ़ सी आ आ गई है.

प्रमाण पत्र के रूप में नहीं माना सकता 

अदालत ने कहा कि संस्था ने दस्तावेजों की वास्तविकता पर विचार किए बिना विवाह आयोजित करने में अपने विश्वास का दुरुपयोग किया है, चूंकि विवाह पंजीकृत नहीं किया गया है. ऐसे में केवल आर्य समाज की ओर से जारी प्रमाण पत्र के आधार पर यह नहीं माना जा सकता है कि पार्टियों ने शादी रचा ली है. अदालत ने याचिका  को खारिज कर दिया.