New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2022/04/23/allahabad-court-10.jpg)
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिर्फ एक केस पर गैंग्स्टर एक्ट लगाने को बताया गलत( Photo Credit : File Photo)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिर्फ एक केस पर गैंग्स्टर एक्ट लगाने को बताया गलत( Photo Credit : File Photo)
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad Highcourt) ने योगी सरकार (Yogi Government) को बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट मात्र एक आपराधिक केस पर गैंगस्टर एक्ट (Gangster act) लगाने को गलत बताते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. मामले की सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया एक ही आपराधिक केस पर गैंग्स्टर एक्ट लागू करना सही नहीं है. इसके साथ ही राज्य सरकार से इस पूरे मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है. इसके साथ ही तब तक के लिए याची की गिरफ्तारी पर भी रोक लगा दी है. याचिका पर अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर तथा न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने विनय कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने बहस की. इनका कहना है कि खनन विभाग के लिपिक ने कौशांबी के करारी थाने में 1 जनवरी 2021 को एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें उसे 16 मार्च 2021 को जमानत मिल गई. इसके बाद इसी केस के आधार पर 9 जून 22 को करारी थाने में गैंग्स्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करा दी गई. लिहाजा, याची ने केवल एक केस पर गैंग्स्टर एक्ट की कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी थी.
मैनेजर को कर्मकार मानकर जारी किए गए अवार्ड पर लगाई रोक
इसके अलावा एक और मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुपरवाइजरी कार्य करने वाले कंपनी प्रबंधक को औद्योगिक न्यायाधिकरण कानपुर नगर द्वारा कर्मकार मानकर जारी किए गए अवार्ड पर रोक लगा दी है. इस मामले में हाई कोर्ट ने भारत सरकार और विरोधी पक्ष से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने एटीसी टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लि. कंपनी की याचिका पर दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता सुनील कुमार त्रिपाठी ने बहस की. इनका तर्क था कि विपक्षी ने अधिकरण में स्वीकार किया है कि वह प्रबंधक था और सुपरवाइजरी कार्य देखता था. अधिवक्ता का यह भी कहना है कि विपक्षी को कर्मकार की वेतन की वैधानिक सीमा से अधिक वेतन भुगतान किया जाता था. अधिकरण ने बिना कारण बताए विपक्षी को कर्मकार मानकर अवार्ड दिया, जो विधि सम्मत नहीं है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और 22 दिसंबर 21 को जारी अवार्ड पर रोक लगा दी है.
HIGHLIGHTS
Source : Manvendra Pratap Singh