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राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी शहर से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग 29 की जमीन पर प्राइवेट लोगों द्वारा अवैध आवास बनाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर अपर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी, जिलाधिकारी वाराणसी, तथा एसडीएम सदर वाराणसी से जवाब मांगा है.

Updated on: 26 May 2022, 11:12 PM

प्रयागराज :

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी शहर से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग 29 की जमीन पर प्राइवेट लोगों द्वारा अवैध आवास बनाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर अपर मुख्य सचिव पीडब्ल्यूडी, जिलाधिकारी वाराणसी, तथा एसडीएम सदर वाराणसी से जवाब मांगा है. यह आदेश चीफ जस्टिस राजेश बिंदल व जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने पूर्व ग्राम प्रधान कमलेश यादव की जनहित याचिका पर पारित किया.
 
याची के अधिवक्ता देवेश मिश्र का कहना था कि विपक्षी प्राइवेट लोगों को नेशनल हाईवे की जमीन से अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने उन्हें मुआवजा भी दे रखा है. याचिका में कहा गया है कि मुआवजा लेने के बाद भी विपक्षी राष्ट्रीय राजमार्ग 29 की जमीन पर काबिज बने हुए हैं और वह वहां के स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध रूप से कब्जा किए हैं.

सरकार की तरफ से तहसीलदार सदर द्वारा उपलब्ध कराई गई आख्या से कोर्ट को अवगत कराया गया तथा कहा गया कि प्राइवेट विपक्षियों ने जमीन का मुआवजा ले लिया है और उन्हें अन्यत्र भूमि आवंटित कर दी गई है. कहां गया यह जमीन पीडब्ल्यूडी की थी जिसे बाद में नेशनल हाईवे को दे दी गई.

चीफ जस्टिस की बेंच का कहना था कि जब जमीन नेशनल हाईवे के सड़क के रूप में दर्ज है तो मुआवजा कैसे दिया गया तथा मुआवजा लेने के बाद भी वे सड़क की जमीन पर कैसे काबिज हो सकते हैं. कोर्ट ने फिलहाल सरकारी वकील के अनुरोध पर इस मामले में विपक्षी अधिकारियों को जवाब लगाने को कहा है तथा याचिका पर 12 सितंबर 22 को सुनवाई करने का निर्देश दिया है.