उम्रकैद यानी जीवन पर्यन्त कैद : हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि उम्र कैद की सजा अभियुक्त के जीवन (अंतिम सांस) तक है. हाईकोर्ट ने कहा कि उम्र कैद की सजा किसी सीमित अवधि अथवा वर्षों की संख्या में सीमित नहीं किया जा सकती.
नई दिल्ली:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि उम्र कैद की सजा अभियुक्त के जीवन (अंतिम सांस) तक है. हाईकोर्ट ने कहा कि उम्र कैद की सजा किसी सीमित अवधि अथवा वर्षों की संख्या में सीमित नहीं किया जा सकती. न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने वर्ष 1997 के एक मामले में महोबा की अदालत द्वारा हत्या के पांच दोषियों को दी गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया. अदालत के समक्ष जब यह तर्क दिया गया कि दोषियों में से एक कल्लू, जो पहले ही लगभग 20-21 साल जेल काट चुका है, उसकी सज़ा की अवधि को देखते हुए उसकी उम्र कैद की सज़ा कम करके उसे रिहा किया जा सकता है।
इस पर अदालत ने स्पष्ट किया कि यह उचित नहीं है. न्यायालय के लिए आजीवन कारावास की अवधि को कुछ वर्षों के लिए निर्धारित करने के लिए, कानूनी स्थिति यह है कि आजीवन कारावास की अवधि किसी व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन (अंतिम सांस) तक होती है. अदालत पांच हत्या आरोपियों द्वारा दायर तीन अपीलों पर सुनवाई कर रही थी.
जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. चूंकि उनमें से एक योगेंद्र की अपील के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी, इसलिए उसकी ओर से अपील समाप्त कर दी गई. सभी पांच आरोपियों, कल्लू, फूल सिंह, जोगेंद्र (अब मृत), हरि और चरण को जय सिंह की 12 बोर की पिस्टल और राइफल से हत्या करने का दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने सजा की पुष्टि कर दी है.
हाईकोर्ट ने कहा, धारा 302 , न्यायालय को या तो आजीवन कारावास या मृत्युदंड देने का अधिकार देती है. हत्या के अपराध के लिए न्यूनतम सजा आजीवन कारावास और अधिकतम मृत्यु दंड हैं. न्यायालय क़ानून द्वारा अधिकृत न्यूनतम सजा को कम नहीं कर सकता.
न्यायालय ने कहा कि जहां तक सजा में छूट देने का प्रश्न है, यह राज्य सरकार के विवेकाधिकार पर निर्भर है कि वह जेल में कम से कम 14 साल की सजा काटने के बाद आजीवन कारावास की सज़ा में छूट दे. हालांकि, यह देखते हुए कि अपीलकर्ता कल्लू 20- 21 साल तक जेल में सजा काट चुका है। अदालत ने जेल अधिकारियों के लिए उसकी रिहाई की स्थिति का आकलन करने और राज्य अधिकारियों को इसकी सिफारिश करने के लिए छूट दी है.
न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा पारित दोष सिद्ध के खिलाफ फूल सिंह व अन्य की अपीलें खारिज कर दीं. चूंकि, अपीलार्थी फूल सिंह और कल्लू पहले से ही जेल में हैं, इसलिए उनके संबंध में कोई आदेश नहीं दिया गया. हालांकि, संबंधित अदालत को हरि उर्फ हरीश चंद्र और चरण नाम के अपीलकर्ताओं को हिरासत में लेने और शेष सजा काटने के लिए जेल भेजने का निर्देश दिया गया.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर में आज लगी है जबरदस्त भीड़, जानें इसका इतिहास
-
Jyotish Upay: आधी रात में भूत-प्रेत के डर से बचने के लिए मंत्र और उपाय
-
Hanuman Jayanti 2024 Wishes: आज हनुमान जयंती की पूजा के ये हैं 3 शुभ मुहूर्त, इन शुभ संदेशों के साथ करें सबको विश
-
Maa Laxmi Upay: देवी लक्ष्मी की चैत्र पूर्णिमा की रात करें ये उपाय, पाएं धन-वैभव और समृद्धि