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योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाने पर HC ने केंद्र और यूपी सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारत सरकार और प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

Updated on: 25 May 2017, 07:48 AM

highlights

  • योगी आदित्यनाथ के सांसद रहते हुए सीएम बनाए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य से मांगा जवाब
  • आरटीआई कार्यकर्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में योगी और केशव प्रसाद मौर्य को लेकर दाखिल की है याचिका

नई दिल्ली:

योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के सांसद रहते हुए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारत सरकार और प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है।

आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बुधवार को बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य सांसद हैं। ऐसे में बीजेपी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद भी सांसदों को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? क्या बीजेपी का एक भी विधायक ऐसा नहीं था जो मुख्यमंत्री बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि देश के संविधान में कोई व्यक्ति दो लाभ के पद पर नहीं रह सकता। ऐसे में सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पद की सभी सुविधाएं ले रहे हैं और बतौर सांसद भी सुविधाएं ले रहे हैं।

संजय शर्मा ने कहा कि योगी और केशव को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद पद से इस्तीफा देना चाहिए था, लेकिन उन्होंने अभी तक ऐसा नहीं किया।

उन्होंने कहा कि ऐसा केवल आगामी राष्ट्रपति चुनाव में वोट करने के उद्देश्य से किया गया है। शर्मा ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से मांग की है कि सीएम योगी और डिप्टी सीएम केशव मौर्य के राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने पर रोक लगा दी जाए। उन्होंने कहा कि हमने पूरे मामले पर हाईकोर्ट से निर्देश भी मांगा है।

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शर्मा ने बताया कि मेरे अधिवक्ता चन्द्र भूषण पाण्डेय ने बीते 11 मई को हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की गई थी। न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल और वीरेंद्र कुमार ने भारत के अटॉर्नी जनरल की ओर से आए भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अशोक सिंह मेहता, उप्र के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह और मेरे अधिवक्ता चंद्र भूषण पांडेय को सुनने के बाद अटॉर्नी जनरल और यूपी के एडवोकेट जनरल को काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद रिजॉइंडर दाखिल करने के लिए मुझे दो हफ्ते का समय देते हुए इसके बाद सुनवाई करने का आदेश दिया है।

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