मात्र एक केस पर गिरोहबंद कानून लगाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने सिपरी बाजार झांसी के दर्शन गुप्ता की गिरोहबंद अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक केस में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
प्रयागराज:
इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने सिपरी बाजार झांसी के दर्शन गुप्ता की गिरोहबंद अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक केस में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और दर्ज एक मात्र केस के आधार पर गिरोहबंद कानून लगाने के मामले में राज्य सरकार से 10 दिन में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति एस ए एच रिजवी की खंडपीठ ने दर्शन गुप्ता की याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा का कहना है कि याची के खिलाफ सन् 2020 में एससी-एसटी एक्ट, गाली-गलौज व दुराचार के आरोप पर एफआईआर दर्ज हुई.
इस एक मात्र केस के गैंगचार्ट के आधार पर 14 मार्च 2021 को उसके खिलाफ गिरोहबंद कानून के तहत एफआईआर दर्ज करा दी गई है, जबकि याची पर पुलिस ने दुराचार के आरोप में चार्जशीट नहीं दी है. सह अभियुक्त के खिलाफ ही दुराचार का आरोप पत्र दाखिल किया गया है. याची एफआईआर में नामित भी नहीं था. पीड़िता के देरी में दिए गए बयान के बाद उसे शामिल किया गया है. उस पर गाली-गलौज व एससी-एसटी एक्ट के तहत ही आरोपित किया गया है.
इससे स्पष्ट है कि गिरोहबंद कानून लगाने में अधिकारियों ने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है. कोर्ट ने आपराधिक केस के फैसले के खिलाफ याची की अपील के रिकर्ड तलब किए और देखने के बाद कहा कि याची अधिवक्ता की तथ्यात्मक बहस सही है. इस पर गिरोहबंद कानून के तहत दर्ज केस में गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 'कोविड मैनेजमेंट' वाले फैसले पर लगाई रोक
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश भर में कोविड मैनेजमेंट से जुड़े मामलो की सुनवाई कर रहे हाई कोर्ट्स को ऐसे नीतिगत मामले में सुनवाई से बचना चाहिए जिसके राष्ट्रीय/ अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो, क्योकि ऐसे मसलो पर सुप्रीम कोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को अपने आदेश का व्यवहारिक पक्ष भी देखना होगा. ऐसे आदेश देने से बचे जिस पर अमल सम्भव ही ना हो. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के आग्रह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी. जिसमें कोर्ट ने राज्य में मौजूद हर गांव को ICU सुविधा वाली दो एम्बुलेंस उपलब्ध कराने को कहा था.
यूपी सरकार का कहना था कि राज्य में 97 हज़ार गांव है. इस आदेश पर अमल सम्भव नहीं. इसके अलावा इसी आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि कोविड का इलाज कर रहे सभी नर्सिंग होम में ऑक्सीजन की सुविधा होनी चाहिए.
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