उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग भर्ती घोटाला मामले में सीबीआई जांच के ख़िलाफ़ दायर याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज़ कर दिया है।
बता दें कि यूपीएससी की ओर से यूपीएससी अध्यक्ष और सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल कर सीबीआई जांच को रोकने की बात कही थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने डीबी भोंसले और जस्टिस सुमित कुमार की अगुवाई में यह फ़ैसला सुनाया।
यूपीएससी की तरफ से तर्क देते हुए कहा गया कि यूपीएससी एक संवैधानिक संस्था है और सीबीआई उनके कामकाज की जांच नहीं कर सकती।
इससे पहले यूपी की मौजूदा योगी सरकार ने सीबीआई को अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच हुई परीक्षा और भर्तियों की जांच करने को कहा था।
इस आदेश के अनुसार समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के कार्यकाल में हुई 600 से ज्यादा भर्तियां और 45000 पदों के लिए हुई परीक्षाएं सीबीआई जांच के घेरे में है।
खासतौर से पीसीएस के करीब 3000 और पीसीएस(जे) के 1000 पदों पर हुईं भर्तियां जांच के दायरे में है।
पीसीएस में जाति विशेष के लोगों के चुने जाने, पीसीएस प्री का पेपर लीक होने, डॉक्टर्स, इंजिनियर्स और प्रोफेसर के पदों पर हुई भर्तियां भी जांच के दायरे में होगी।
इस मामले में आयोग के अध्यक्ष रहे अनिल यादव और अनिरुद्ध यादव के नाम काफी चर्चित रहे थे।
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Source : News Nation Bureau