इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आजम को रिहा करने का निर्देश, जानें पूरा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक लाख रूपये मुचलके व दो प्रतिभूति पर जमानत दे दें दी है।

author-image
Mohit Sharma
New Update
Azam Khan

Azam Khan ( Photo Credit : FILE PIC)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक लाख रूपये मुचलके व दो प्रतिभूति पर जमानत दे दें दी है। कोर्ट ने आजम खान से शत्रु संपत्ति को पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंपने का आदेश दिया है।   यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दिया है। आज़म खान की तरफ से अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान, कमरूल हसन, सफदर काजमी, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी, शासकीय अधिवक्ता एस के पाल अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र कोर्ट में मौजूद थे।

Advertisment

आज़म खान को 88 आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलो में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है।जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है। जमानत पर रिहा हो, इससे पहले  आजम खान के खिलाफ नयी एफ आई आर दर्ज की गई है। माना जा रहा था कि यदिइस केस में जमानत मंजूर हुई तो वह जेल से बाहर निकल आयेंगे। नया केस दर्ज होने से दर्ज आखिरी मामले में अब जमानत मिलने के बावजूद रिहाई नहीं हो सकेगी।

 मामले के अनुसार, अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर  बाउंड्री वॉल से घेर कर लेने का आरोप है।जिसे मौलाना जौहर अली ट्रस्ट रामपुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है।  पुलिस ने चार्जशीट  दाखिल की  है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है। चार दिसम्‍बर 21 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। 29अप्रैल 22को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और  नये तथ्‍य पेश किये।   सुनवाई  5 मई को हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।उधर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुनाने में देरी को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।जिसपर मंगलवार को फैसला सुनाया गया।

गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं। इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है। सिर्फ एक मामला शत्रु सम्‍पत्ति का रह गया है।  मालूम हो कि आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है।  इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी।

आज़म खान के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान का कहना था कि विश्वविद्यालय 350एकड जमीन में बना है।अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है।कुछ सरकार ने पट्टे पर दिया है।13हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है। जिलाधिकारी ने 18जुलाई 6को विश्वविद्यालय को लीज पर विवादित जमीन दी थी।1700रूपये प्रति एकड़ की दर से लीज दी गई थी। 20अक्टूबर 2014मे कस्टोडियन ने लीज रद्द कर दी और वहीं जमीन बी एस एफ को दी गई है। विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज की मांग में अर्जी दी जा रही है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व ए जी ए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खां ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है।मसूद खा ने इबारत लिखी है।शत्रु संपत्ति हड़पने के लिए वक्फ एक्ट के सारे उपबंधो को ताक  पर रख दिया गया।1369फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है। उन्होंने दस्तावेज भी पेश किया।वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है।आज़म ख़ान ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं।अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। मुख्य आरोपी वहीं है।वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने भी पक्ष रखा।

Source : News Nation Bureau

Azam Khan News azam khan MP Azam Khan in Sitapur Jail
      
      
Advertisment