इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उल्टा कभी सही नहीं हो सकता. बड़े अधिकारी की प्रारंभिक जांच के जवाब पर छोटे अधिकारी द्वारा विचार करने को सही नहीं कह सकते.
कोर्ट ने कहा कि सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस निरस्त करने के गंभीर प्रभाव होते हैं. इसी के साथ कोर्ट ने दुकान का लाइसेंस निरस्त करने के खिलाफ अपील करने की सरकारी वकील की आपत्ति अस्वीकार कर दी और एसडीएम सहसवान के लाइसेंस निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया.
कोर्ट ने तीन माह में विधिवत पूरी जांच कर निर्णय लेने का निर्देश दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने महेंद्र सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया . याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने बहस की. इनका कहना था कि 13 अप्रैल 22 को एसडीएम ने याची के सस्ते गल्ले की दुकान का लाइसेंस निरस्त कर दिया था. इससे पहले एरिया राशनिंग अधिकारी ने प्रारंभिक जांच की थी, जिसका याची ने भरपूर जवाब दिया. आपूर्ति निरीक्षक ने इस पर विचार किया, जो कि एरिया राशनिंग अधिकारी से छोटा पद हैं.
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नियमानुसार आपूर्ति निरीक्षक को प्रारंभिक जांच करनी थी और एरिया राशनिंग अधिकारी के जवाब पर विचार करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कोर्ट ने पूरन सिंह केस में पूर्ण पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अपील दाखिल करने को कहना सही नहीं होगा और याचिका लंबित रखना भी उचित नहीं होगा. इसलिए कोर्ट ने लाइसेंस निरस्त करने का आदेश रद्द कर दिया और नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
HIGHLIGHTS
- हाईकोर्ट ने कहा नियमानुसार हो कार्यवाही
- बड़े अफसर के बाद छोटे की जांच गलत
Source : News Nation Bureau