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इलाहाबाद हाईकोर्ट( Photo Credit : File Photo)
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से पूछा है कि बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक नियुक्त करने के संबंध में एनसीटीई ने कोई नई अधिसूचना जारी की है या नहीं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट( Photo Credit : File Photo)
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से पूछा है कि बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक नियुक्त करने के संबंध में एनसीटीई ने कोई नई अधिसूचना जारी की है या नहीं. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने प्रतीक मिश्र व अन्य की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि एनसीटीई की 26 अगस्त 2018 की अधिसूचना में बीएड अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य माना गया है, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट से यह अधिसूचना रद्द होने के बाद कोई नई अधिसूचना जारी की गई है या नहीं.
याचिका में टीईटी 2021 के प्रमाण पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई है. इसके अलावा बीएड डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक पढ़ाने के लिए नियुक्त किए जाने से रोकने की भी मांग की गई है. कहा गया है कि बीएड डिग्रीधारक पूर्व में प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य नहीं थे. बाद में एनसीटीई ने 26 अगस्त 2018 को अधिसूचना जारी कर कुछ योग्यता हासिल करने के बाद बीएड अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक नियुक्त होने के लिए योग्य करार दिया. इस अधिसूचना को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.
राजस्थान हाईकोर्ट ने उक्त अधिसूचना को गैरकानूनी करार देते हुए रद्द कर दिया. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि बीएड डिग्रीधारक कक्षा एक से पांच तक के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक नियुक्त होने के योग्य नहीं हैं. राजस्थान हाईकोर्ट ने अधिसूचना को अवैधानिक घोषित करते हुए कहा कि अधिसूचना केंद्र सरकार के शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 23(2 ) के तहत अधिकार का उपयोग कर जारी नहीं की गई है. केंद्र सरकार को एनसीटीई की ओर से निर्धारित योग्यता को शिथिल करने का अधिकार है.
याचियों का कहना था कि टीईटी 2021 का परिणाम घोषित किया जा चुका है और अब प्रमाण पत्र जारी किए किए जाने हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने टीईटी का परिणाम जारी करने से पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर विचार नहीं किया. राज्य सरकार के अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि अधिसूचना रद्द की जा चुकी है और यदि एनसीटीई की ओर से कोई नई अधिसूचना जारी की जाएगी तो उस पर विचार किया जाएगा. कोर्ट ने इस मुद्दे पर जानकारी मांगते हुए मामले पर सुनवाई के लिए 16 मई की तारीख लगाई है. साथ ही कहा है कि अगली सुनवाई तक कोई भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा.
Source : Manvendra Pratap Singh