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ऊर्जा क्षेत्र के लिये भ्रामक और निराशाजनक है बजट : फेडरेशन

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने शनिवार को लोकसभा में पेश आम बजट में बिजली आपूर्ति के निजीकरण और तीन साल में हर उपभोक्ता के यहाँ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को अव्यवहारिक बताया है.

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने शनिवार को लोकसभा में पेश आम बजट में बिजली आपूर्ति के निजीकरण और तीन साल में हर उपभोक्ता के यहाँ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को अव्यवहारिक बताया है.

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Yogendra Mishra
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Electricity

प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने शनिवार को लोकसभा में पेश आम बजट में बिजली आपूर्ति के निजीकरण और तीन साल में हर उपभोक्ता के यहाँ प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने की योजना को अव्यवहारिक बताया है. फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने बिजली क्षेत्र के बारे में बजट में की गई घोषणा को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तीन साल में सभी घरों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे जिससे उपभोक्ता को मनचाही बिजली कम्पनी से बिजली लेने का विकल्प मिल जाएगा.

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दरअसल, यह पूरी तरह भ्रामक है. उन्होंने कहा कि देश में लगभग 30 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं और स्मार्ट मीटर की कीमत लगभग 3,000 रुपये मानी जाए तो स्मार्ट मीटर लगाने में ही 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च होगा. बजट में बिजली और गैरपरम्परागत बिजली के लिए मात्र 22,000 करोड़ रुपये ही दिए गए हैं तो सवाल यह है कि हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने की धनराशि कहां से आएगी.

दुबे ने कहा कि ब्रिटेन में 10 साल पहले एक ही क्षेत्र में कई बिजली कंपनियों की आपूर्ति व्यवस्था लागू करने में 80 करोड़ पाउंड खर्च हुए थे, तो बजट में यह भी बताना जरूरी था कि भारत में यह व्यवस्था लागू करने में आज कितनी धनराशि खर्च होगी और यह कहाँ से आएगी.

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उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति में कई निजी कंपनियों की प्रणाली लागू करने और स्मार्ट मीटर लगाने के नाम पर आने वाले खर्च का भार अंततः आम उपभोक्ता पर ही डाला जायेगा जिसे बजट में साफ तौर पर बताया जाना चाहिए था. दुबे ने कहा कि कुल मिलाकर ऊर्जा क्षेत्र को लेकर बजट जुमला बनकर रह गया है और यह पूरी तरह निराशाजनक है.

Source : Bhasha

power Sector Budget 2020-21 All India Power Engineer Federation
      
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