/newsnation/media/post_attachments/images/2019/10/21/akhilesh-yadaveee-22.jpg)
akhilesh yadav( Photo Credit : फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीया जलाने के सुझाव पर तंज कसते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई का अभाव और अपर्याप्त टेस्ट किट असली चुनौती है, जिसका सामना देश कर रहा है. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि लोगों के लिए पर्याप्त टेस्ट किट नहीं. स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्याप्त निजी सुरक्षा उपकरण नहीं. गरीबों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं. ये आज की असली चुनौतियां हैं.
Not enough testing kits for people. Not enough Personal Protective Equipment for health care workers. Not enough meals to feed the poor.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 5, 2020
These are the real challenges today.
सोचो अंदर की रोशनी बुझाकर
कौन पा सका है बाहर के उजाले
यह भी पढ़ें- प्रियंका गांधी बोलीं- हमारे कोरोना योद्धा और उनके परिवारों की रक्षा करना हम सबका फर्ज
देशभर में 50 से अधिक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव
उन्होंने कहा कि सोचो अंदर की रोशनी बुझाकर, कौन पा सका है बाहर के उजाले. देशभर में 50 से अधिक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव निकले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से रविवार को रात 9 बजे नौ मिनट के लिए घरों में लाइट बंद करके इसके बजाय दीया, मोमबत्तियां, सेलफोन की फ्लैश लाइट जलाने को कहा है. वहीं इससे पहले अखिलेश यादव ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्विट कर पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने अकाउंट पर दो लाइनें शेयर की हैं, उन्होंने लिखा कि-"बाहर भी कम न होगी रोशनी, दिलों में उजाले बनाए रखिए". दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (3 अप्रैल 2020) को तीसरी बार देश को संबोधित किया.
शुक्रवार सुबह नौ बजे पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीया जलाने के सुझाव पर तंज कसते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पीपीई का अभाव और अपर्याप्त टेस्ट किट असली चुनौती है, जिसका सामना देश कर रहा है. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि लोगों के लिए पर्याप्त टेस्ट किट नहीं. स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्याप्त निजी सुरक्षा उपकरण नहीं. गरीबों को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं. ये आज की असली चुनौतियां हैं.