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जहरीली शराब पर अखिलेश का योगी सरकार पर हमला, कहा- धंधा दोगुनी रफ्तार से जारी

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के बड़बोलेपन के बावजूद जहरीली शराब का धंधा दुगनी रफ्तार से चल रहा है और अब तक दर्जनों लोग जहरीली शराब पीकर अपनी जान गंवा बैठे हैं.

Updated on: 22 Nov 2020, 06:39 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश में हाल में कथित जहरीली शराब से हुई मौतों के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि भाजपा सरकार को जनसामान्य के स्वास्थ्य और जीवन की कोई चिंता नहीं है तथा प्रदेश में अवैध शराब का कारोबार सरकार के संरक्षण में चल रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के बड़बोलेपन के बावजूद जहरीली शराब का धंधा दुगनी रफ्तार से चल रहा है और अब तक दर्जनों लोग जहरीली शराब पीकर अपनी जान गंवा बैठे हैं. शराब माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वे सरकारी कायदे कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए तस्करी और अवैध शराब की बिक्री खुलेआम कर रहे हैं.

सपा कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में अखिलेश ने कहा, सच तो यह है कि प्रदेश में पुलिस और आबकारी विभाग की जानकारी में ही अवैध ढंग से शराब की तस्करी और जहरीली शराब बनाने और बेचने का काम हो रहा है. फूलपुर कोतवाली क्षेत्र में देशी शराब के ठेके से शराब ले जाकर पीने से इमलिया गांव के सात लोगों की मौत हो गई और कई ग्रामीणों की हालत गम्भीर हैं. बाराबंकी के कोठी थाना क्षेत्र में भाजपा नेता ने उधार शराब न देने पर सेल्समैन की पिटाई कर दी.

कई ठेके भाजपा नेताओं ने ले रखे हैं. वे भी जल्दी माल कमाने के फेर में दिखाई देते हैं. बाराबंकी में 12 लोगों की मौत हुई है. अखिलेश ने मीडिया में जारी किए गए बयान में कहा गया कि जहरीली शराब पीकर हापुड़ कोतवाली क्षेत्र में 12 लोगों की मौत हुई. सहारनपुर में 64 मौतें हुई, जबकि फिरोजाबाद में दो लोग मारे गए. प्रयागराज के फूलपुर क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गई. इटावा, रामपुर और जालौन में भी मौतें हुई है.

उन्होंने कहा कि जहरीली शराब पीने से मौत होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है. पहले भी कई दर्दनाक घटनाएं हो चुकी हैं, परन्तु कोई इनसे सबक नहीं लेता है. यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की संवेदनहीनता की हद है कि नकली शराब का धंधा करने वालों पर नकेल कसने में वह अब तक गम्भीर नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने नकली शराब के कारोबारियों को खत्म करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए हैं और सरकार को इसमें विभागीय संलिप्तता की भी जांच कर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए.