नागरिकता संशोधन कानून में मुस्लिमों को भी चाहता है एआईएमपीएलबी
दारूल उलूम नदवातुल उलेमा के रेक्टर (कुलाधिसचिव) मौलाना राबे हसनी नदवी ने सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) खत्म करने या इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने के लिए कहा है.
highlights
- दारूल उलूम नदवातुल उलेमा के रेक्टर ने सरकार से सीएए खत्म करने को कहा.
- ऐसा नहीं होने पर कहा कि सरकार फिर इसमें मुसलमानों को भी शामिल करे.
- कहा-मुस्लिमों को बाहर रखकर देश की धर्म निरपेक्षता को नुकसान पहुंचा.
लखनऊ.:
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के अध्यक्ष और दारूल उलूम नदवातुल उलेमा के रेक्टर (कुलाधिसचिव) मौलाना राबे हसनी नदवी ने सरकार से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) खत्म करने या इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने के लिए कहा है. यहां एक बयान में मौलाना ने कहा, 'सीएए देश और समुदाय के लिए सही नहीं है. इस कानून के कारण देश में अव्यवस्था फैल गई है. इस कानून के तहत दी जाने वाली सुविधा से मुस्लिमों को बाहर रखकर देश की धर्म निरपेक्षता को नुकसान पहुंच रहा है. इससे दुनियाभर में हमारे देश की प्रतिष्ठा पर भी असर पड़ रहा है. हमारा लोकतंत्र सभी को प्रदर्शन करने का अधिकार देता है लेकिन लोगों को हिंसक और भड़काऊ गतिविधियों से दूर रहना चाहिए.'
यह भी पढ़ेंः पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में फिर की नापाक हरकत, Indian Army ने की जवाबी कार्रवाई
दारूल उलूम भी सीएए के विरोध में
इससे पहले 16 दिसंबर को लखनऊ के 121 साल पुराने मदरसा दारूल उलूम नदवातुल उलेमा के छात्रों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दिल्ली में जामिया तथा अलीगढ़ में एएमयू के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इस मुद्दे पर मदरसा के छात्रों ने हॉस्टल से निकल कर विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद छात्रों द्वारा पत्थरबाजी करने पर पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा था. गौरतलब है कि दारूल उलूम दुनिया भर में इस्लामिक शिक्षा का बड़ा केंद्र है और इसके कुलाधिसचिव की बात मुस्लिम देशों में भी खासी मायने रखती है.
यह भी पढ़ेंः पुणे में ब्रिजिंग एक्सरसाइज के दौरान बड़ा हादसा, 2 जवान शहीद, 5 घायल
अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर नहीं था पक्ष में
गौरतलब है कि दारूल उलूम बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं थे. मीडिया में बोर्ड का चेहरा माने जाने वाले कमाल फारूक़ी ने भी कहा था कि वो निजी तौर पर पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं है, लेकिन सामूहिक फैसले के आगे निजी राय की कोई हैसियत नहीं होती. लिहाज़ा वह बोर्ड के फ़ैसले के साथ हैं. यही राय कई और सदस्यों की भी थी. इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि बोर्ड में बहुमत को नज़र अंदाज़ करके पुनर्विचार याचिका दाख़िल करने का फैसला किया गया था.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Bipasha Basu-Karan Singh Grover: शादी के 8 साल बाद भी एक-दूजे को बेहद चाहते हैं बिपाशा और करण, इंस्टा पर दिया प्यार का सबूत
-
Deepika Chikhlia Net Worth: हर मामले में राम जी से आगे रहीं सीता मां, राजनीति से लेकर संपत्ति तक दी टक्कर, जानें नेटवर्थ
-
अरिजीत सिंह ने अपने कॉन्सर्ट के दौरान माहिरा खान से मांगी माफी, देखें सिंगर ने क्या कहा?
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा