ताजमहल मंदिर नहीं, मकबरा है: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ताजमहल को मंदिर बताए जाने वाले दावों से इंकार किया है।

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saketanand gyan
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ताजमहल मंदिर नहीं, मकबरा है: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण

आगरा स्थित खूबसूरत ताजमहल (फाइल फोटो)

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ताजमहल को मंदिर बताए जाने वाले दावों से इंकार किया है। एएसआई ने आगरा की एक अदालत को कहा है कि ताजमहल एक मकबरा है न कि एक मंदिर, जो कि एक याचिकाकर्ता समूह के द्वारा दावा किया गया था।

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इसके अलावा एएसआई ने कहा कि ताजमहल मुस्लिम वास्तुकला की एक श्रेष्ठ कृति है। आपको बता दें कि एएसआई देश में पुरातत्व शोधों, ऐतिहासिक स्मारकों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है।

गुरुवार को एएसआई ने कोर्ट में दिए एक लिखित जवाब में इस बात को मानने से इंकार कर दिया कि जिसमें हिन्दू भगवान शिव के मंदिर पर इस वैश्विक हिरासत को बनाने का दावा किया जा रहा था।

अप्रैल 2015 को सिविल कोर्ट में 6 वकीलों के द्वारा एक मुकदमा दायर कर ताजमहल को हिन्दू मंदिर 'तेजो महालय' होने का दावा किया गया था। साथ ही कहा गया था कि इस धर्म के मानने वाले को स्मारक के अंदर दर्शन और आरती करने दिया जाना चाहिए।

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इसी के जवाब में भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण ने प्रतिवाद दाखिल किया था। इसमें वर्ष 1195 ईस्वी (विक्रम संवत 1252) के शिलालेख के अनुसार, ताजमहल में कोई मंदिर या शिवलिंग मानने से इंकार किया है।

याचिकाकर्ताओं ने स्मारक में बंद पड़े कमरों को खोलने के लिए भी कहा था। हालांकि कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई 11 सितम्बर रखी है।

इतिहासकार पीएन ओक की किताब के दावे पर वकील राजेश कुलश्रेष्ठ ने यह मामला उठाया था। फिर विभिन्न अदालतों से होता हुआ यह मामला आरटीआइ के माध्यम से सीआइसी के पास आया था।

इसमें दावा किया गया था कि यह राजा जयसिंह की संपत्ति थी और कहा गया कि यह मंदिर था और इसे राजा जयसिंह से शाहजहां ने छीना था। इसमें आज भी भगवान शिव विराजमान हैं।

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HIGHLIGHTS

  • एएसआई ने कहा कि ताजमहल मुस्लिम वास्तुकला की एक श्रेष्ठ कृति है
  • दावा किया गया था कि यह राजा जयसिंह की संपत्ति थी और यह मंदिर था
  • कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 11 सितम्बर को रखी है

Source : News Nation Bureau

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