जब कोई जवान शहीद होता है तो सब शहीद की शहादत को सलाम करते हैं पर समय बीत जाने के साथ भूल से जाते हैं। उस समय सरकारें बड़े बड़े ऐलान तो खूब करती हैं पर कुछ समय बाद उनकी खोज-खबर लेने वाला भी कोई नहीं होता है। परिवार कैसे जी रहा है, उसका गुजर-बसर कैसे हो रहा है, उनके बच्चों की परवरिश और शिक्षा कैसे चलेगी, इसकी खबर लेने के लिए कोई आगे नहीं आता है।
ऐसा ही एक परिवार आगरा के अकोला के गढ़ी कालिया में रहता है। वह है गोविन्द सिंह चाहर का परिवार। गोविन्द सिंह चाहर 14 अगस्त 2015 को बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठियों से मुकाबला करते हुए शहीद हुए थे। उनकी शहादत पर देश ने गर्व किया था पर समय बीत जाने के बाद के सब जैसे उनके परिवार को भूल गये । शहीद गोविन्द के परिवार में बूढ़े मां बाप के अलावा पत्नी, छह बेटियां और एक बेटा है।
परिवार की आर्थिक हालात बहुत ही बुरी है। जिस कारण बच्चों को ना तो सही शिक्षा मिल पा रही है ना ही घर का गुजर बसर हो पा रहा है। शहादत के समय कई नेता तो आये अनेक वादे भी किए, पर पूरा कुछ भी नहीं हुआ । शहीद की बेटी का कहना है कि 'जो वादे किये जाते है सब भुला दिए जाते है और सरकार को शायद पता भी नहीं की कोई शहीद भी हुआ है।'
शहीद के पिता का कहना है कि 'बेटे के शहीद होने के बाद जो आर्थिक मदद मिलती है उसके लिए भी कई बार लखनऊ चक्कर लगाने पड़े उसमे भी पैसे खर्च हुए हैं। अब परिवार बस भगवान भरोसे चल रहा है बच्चियों के लिए कोई भी नौकरी या शिक्षा के लिए सरकार ने अभी तक कोई भी मदद नही दी।'
Source : News Nation Bureau