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अनामिका शुक्ला (Anamika Shukla) के बाद अब दीप्ति के दस्तावेजों पर तीन महिलाएं नौकरी करती मिलीं

अनामिका शुक्ला प्रकरण के बाद प्रदेश में अब वैसा ही एक और मामला सामने आया है जिसमें दीप्ति नाम की महिला के कागजों-प्रमाणपत्रों (दस्तावेजों) के सहारे तीन अध्यापकों को कस्तूरबा गांधी विदयालय में नौकरी मिली.

Updated on: 17 Jun 2020, 05:00 PM

लखनऊ:

अनामिका शुक्ला प्रकरण (Anamika Shukla Case) के बाद प्रदेश में अब वैसा ही एक और मामला सामने आया है जिसमें दीप्ति नाम की महिला के कागजों-प्रमाणपत्रों (दस्तावेजों) के सहारे तीन अध्यापकों को कस्तूरबा गांधी विदयालय में नौकरी मिली. स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “जौनपुर में जिस दीप्ति का खुलासा हुआ है वह पुष्पेंद्र की कथित प्रेमिका है. इसी तरह दो दीप्ति सिंह के बारे में मैनपुरी में जानकारी मिली है, इसमें से एक कस्तूरबा गांधी विदयालय में अध्यापिका है तथा दूसरी वहां समनव्यक है. जबकि वास्तविक दीप्ति सिंह कौशांबी में अध्यापक के रूप में काम करती है. इस मामले में आगे जांच की जा रही है.”

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उप्र पुलिस ने 15 जून को तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था जो फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी स्कूलों में अध्यापक की नौकरी दिलाने का गोरखधंधा करते थे . एसटीएफ ने सोमवार (15 जून) को बताया था कि गिरोह के तीन सदस्यों को गोंडा से गिरफ्तार किया गया है. इनमें मैनपुरी का पुष्पेंद्र सिंह उर्फ सुशील, जौनपुर का आनंद और खीरी का रामनाथ शामिल है. एसटीएफ की ओर से सोमवार रात जारी एक बयान के मुताबिक मुखबिर की सूचना पर बल के जवानों ने गिरोह के सरगना पुष्पेंद्र और उसके दो अन्य साथियों आनंद तथा रामनाथ को राजधानी लखनऊ में शहीद पथ के पास से गिरफ्तार किया.

बयान के मुताबिक प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में दिये गए शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर प्रयागराज, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, बागपत, कासगंज, सहारनपुर, अम्बेडकरनगर तथा अलीगढ़ से वेतन/मानदेय आहरित किये जाने के प्रकरण की जाँच के दौरान यह पाया गया कि गोंडा के खरगूपुर क्षेत्र की रहने वाली अनामिका शुक्ला नामक महिला ने कस्तूरबा बालिका विद्यालय में अंशकालिक शिक्षक पद के लिए वर्ष 2017 में जनपद सुल्तानपुर, जौनपुर, मिर्जापुर, बस्ती, लखनऊ से आवेदन किया था, जिसमें सुल्तानुपर, जौनपुर व लखनऊ से काउन्सिलिंग के लिए बुलावा आया था मगर स्वास्थ्य ठीक न होने कारण वह कहीं भी उपस्थित नहीं हो सकी थी.

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जांच में पता लगा कि अनामिका के शैक्षिक दस्तावेज का दुरूपयोग कर विभिन्न जनपदों में अनामिका शुक्ला नाम से फर्जी तरीके से चयनित होकर वेतन/मानदेय लिया जा रहा था. तफ्तीश के दौरान इस पूरे प्रकरण में राज उर्फ पुष्पेन्द्र जाटव का नाम मुख्य अभियुक्त के तौर पर सामने आया था. पुष्पेन्द्र ने पूछताछ में एसपीएफ को बताया कि वह फ़र्रूख़ाबाद जिले के कुंवरपुर खास में सुशील के नाम से फर्जी तरीके से सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त है. वह 2010 में रामनाथ प्रधान लिपिक उपरोक्त के सम्पर्क में आया था, उसने अंजली नाम की महिला की कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में रामनाथ के सहयोग से नियुक्ति करवायी थी. बाद में उसने उसे वार्डन के पद पर भी नियुक्त कराया था. उसका भाई जसवंत भी कन्नौज में विभव कुमार के नाम से नौकरी कर रहा है.

पुष्पेंद्र ने यह बात भी कबूल की थी कि उसने जौनपुर में दीप्ति नामक महिला के दस्तावेजों के आधार पर रामबेटी नामक महिला की मैनपुरी के भोगांव में नियुक्ति कराई थी. उसने कानपुर देहात की रहने वाली महिला बबली को अलीगढ़ में और उसी की ननद सरिता को प्रयागराज में, दीप्ती को वाराणसी, प्रिया को कासगंज में रामबेटी के माध्यम से दो-दो लाख रुपये लेकर शिक्षिका के पद पर अनामिका शुक्ला के नाम से नियुक्त कराया.

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पुष्पेंद्र ने बताया था कि रीना तथा कई अन्य महिला अभ्यार्थियों को रामनाथ ने अनामिका शुक्ला के नाम से सहारनपुर, बागपत, रायबरेली, अमेठी, अम्बेकरनगर में नियुक्त कराया.