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उत्तर प्रदेश सरकार की बदनामी करवाने वाले पुलिस अफसर नपेंगे, जुटाया जा रहा काले कारनामों का चिट्ठा

उत्तर प्रदेश सरकार की छवि को खराब करने वाले अफसरों के काले कारनामों का चिट्ठा जुटाया जा रहा है.

Updated on: 14 Aug 2019, 09:59 AM

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश सरकार की छवि को खराब करने वाले अफसरों के काले कारनामों का चिट्ठा जुटाया जा रहा है. उनमें ऐसे अफसरों को छांटा जा रहा है जो सरकार की बदनामी करवा रहे हैं. विभागीय सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री तक कई पुलिस अफसरों की सीधी शिकायत पहुंची थी. रूस रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने ऐसे अफसरों को चिन्हित कर जमकर फटकार लगाई और कार्रवाई की चेतावनी दी थी. कुछ जिलों के कप्तानों से तो वह बेहद खफा नजर आए. ऐसा अंदेशा लागाया जा रहा है कि मुख्यमंत्री के रूस से लौटने और त्योहारों के बाद कई पुलिस कप्तानों पर गाज गिर सकती है.

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एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश में बढ़ रही आपराधिक घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री काफी संजीदा है. इसीलिए उन्होंने जिले में तैनात सारे कप्तानों को विदेश दौरे जाने से पहले निर्देशित किया था. कानून व्यवस्था ठीक रहनी चाहिए. लेकिन कुछ जिलों से मिल रहे फीडबैक के अनुसार, पुलिस के कुछ अफसर सरकार की बदनामी कराने में अमादा है. वह घटनाओं पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं. ऐसे अक्षम अधिकारियों पर गाज गिरना संभव है.

पुलिस के कारनामों ने योगी सरकार की जमकर किरकिरी करवाई है. 17 जुलाई को भूमि पर कब्जा करने को लेकर सोनभद्र घोरावल कोतवाली क्षेत्र के ग्राम पंचायत मूर्तिया के उभ्भा गांव में नरसंहार हुआ था. उसमें दस लोगों की जान चली गई थी और 28 लोग घायल हो गए थे. इसे लेकर विपक्ष हमलावार भी हुआ. सरकार की छवि खराब हुई. पुलिस प्रशासन की लापरवाही के चलते इतना बड़ा कांड हो गया. बाद में मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी और कप्तान को हटाना पड़ा.

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इसके अलावा बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत हो गई थी. उससे पहले सहारनपुर में 55 मौतें, जबकि मेरठ में 18, कुशीनगर में 10 मौतें हो चुकी है. इसमें भी सरकार को विपक्ष ने घेरा था. बाद में कार्रवाई की गई थी. पुलिस के कारनामों की फेहरिस्त कम नहीं है. इसमें उन्नाव का माखी कांड का मामला भी शामिल है. इसमें पुलिस ने भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के इशारे पर दुष्कर्म पीड़िता के पिता पर फर्जी मुकदमें लगाकर जेल भेजने से पहले इतनी पिटाई कर दी थी, जिससे उसकी कुछ दिन में मौत हो गई. इस मामले ने तूल पकड़ा तो मामला सीबीआई के पास गया तब विधायक की गिरफ्तारी हुई. 

सरकार की इस मामले में बहुत फजीहत हुई. इसके बाद फिर यही मामला एक बार फिर गूंजा. इसमें दुष्कर्म पीड़िता अभी भी मौत से लड़ रही है. इस कांड से सरकार की फिर एक बार भद्द पिटी. ऐसे कई मामले हैं, जिनमें पुलिस के कारनामों के कारण योगी सरकार की बदनामी हुई है. इसी कारण गृह विभाग में अपर मुख्य सचिव का पदभार संभालने के बाद अवनीश अवस्थी को सक्रिय किया गया है. वह 10 दिन में अयोध्या, गौतमबुद्घनगर, नोएडा, बांदा, झांसी व जालौन में थानों का निरीक्षण कर चुके हैं. उन्होंने थानाध्यक्षों की कार्यशैली में सुधार की जरूरत बताई है. अवस्थी ने कानून व्यवस्था की जमीनी हकीकत जानने के लिए का औचक निरीक्षण किया. 

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अपर मुख्य सचिव ने इस दौरान थानों में एंटी रोमियो दस्ते को प्रभावी बनाने के लिए पुलिसकर्मियों को शरीर पर लगाए जा सकने वाले कैमरे दिए जाने की बात कही है. वहीं जालौन में महिला पुलिसकर्मियों को शरीर पर लगाए जा सकने वाले कैमरे देकर इसकी शुरुआत भी की गई. निरीक्षण के दौरान जन सुनवाई को और प्रभावी बनाने, पुलिस बल को बेहतर संसाधन व सुविधाएं देने और अपराध पर नियंत्रण आदि पर फीडबैक भी लिया गया. इस दौरान अवनीश अवस्थी जिलों में तैनात अफसरों की कार्यशैली की भी संघनता से जांच रहे हैं, जिससे वह मुख्यमंत्री को सही फीडबैक दे सकें. वह अन्य अधिकारियों से भी पुलिस की कार्यशैली को पता करवा रहे हैं.

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