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Stray Dogs in Kanpur: गंभीर अपराधों के लिए उम्रकैद की सजा आमतौर पर इंसानों को दी जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक अलग और सख्त व्यवस्था लागू की गई है. यहां अब खूंखार और बार-बार हमला करने वाले आवारा कुत्तों को ‘आजीवन कारावास’ दिया जा रहा है. कानपुर नगर निगम ने यह कदम शहर में बढ़ते आवारा कुत्तों के हमलों और जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है.
ABC सेंटर बना ‘काला पानी’
राज्य सरकार के नए निर्देशों के बाद नगर निगम ने आवारा कुत्तों के मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है. शहर का एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर अब ऐसे कुत्तों के लिए सुरक्षित बंद व्यवस्था के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो लोगों के लिए खतरा बन चुके हैं. प्रशासन का कहना है कि यह कदम दंड नहीं, बल्कि रोकथाम और सुरक्षा का उपाय है.
आवारा कुत्तों के हमलों को रोकने के लिए प्रशासन ने खास रणनीति. कोई कुत्ता किसी को एक बार काटता है, तो उसे 10 दिन एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) सेंटर में रखा जाएगा. वही कुत्ता दो या अधिक लोगों को काटता है, तो हमेशा के लिए ABC सेंटर में कैद कर दिया जाएगा. कानपुर में 5 कुत्तों को उम्रकैद pic.twitter.com/CMMU8cS1GQ
— Dheeraj sharma (@dheer23) December 23, 2025
क्या हैं कार्रवाई के तय मानक?
नगर निगम ने सजा और निगरानी के लिए स्पष्ट नियम बनाए हैं...
पहली घटना: यदि कोई कुत्ता किसी व्यक्ति को एक बार काटता है, तो उसे 10 दिनों तक ABC सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा.
दोबारा हमला: अगर वही कुत्ता फिर से किसी को काटता है या दो से अधिक लोगों पर हमला करता है, तो उसे हमेशा के लिए सेंटर में रखा जाएगा, यानी ‘आजीवन कारावास’.
अब तक कितने कुत्तों पर हुई कार्रवाई?
इस अभियान के तहत कानपुर में अब तक 4 से 5 कुत्तों को आजीवन कैद दी जा चुकी है. खास बात यह है कि इस सूची में केवल आवारा कुत्ते ही नहीं, बल्कि कुछ पालतू कुत्ते भी शामिल हैं. नगर निगम के अनुसार, जिन पालतू कुत्तों के मालिकों ने उन्हें नियंत्रित नहीं रखा और वे लोगों के लिए खतरा बने, उन पर भी यही नियम लागू किया गया.
सजा के साथ मानवीय व्यवहार
हालांकि इसे ‘जेल’ कहा जा रहा है, लेकिन नगर निगम ने मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखा है. चीफ वेटरनरी ऑफिसर डॉ. आर.के. निरंजन के अनुसार, उद्देश्य कुत्तों को प्रताड़ित करना नहीं, बल्कि आम नागरिकों को सुरक्षित रखना है. सेंटर में इन कुत्तों को संतुलित भोजन, नियमित मेडिकल जांच और आवश्यक देखभाल दी जा रही है.
दीर्घकालिक समाधान की कोशिश
नगर निगम के साथ-साथ शहर में नसबंदी अभियान भी तेज किया गया है, ताकि आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित हो सके. प्रशासन का मानना है कि सख्ती, देखभाल और नसबंदी-इन तीनों के संतुलन से ही शहर को सुरक्षित और मानवीय बनाया जा सकता है.
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