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बहुसंख्यक समाज के लोगों के धर्मांतरण से कमजोर होता है देशः इलाहाबाद HC

पीड़िता ने यह भी बताया कि जावेद ने यह बात भी छिपाई कि वह पहले से शादीशुदा है और उसने झूठ बोलकर धर्म बदलवाया.

Updated on: 01 Aug 2021, 10:52 AM

highlights

  • जबरन धर्म बदलवाकर शादी करने का मामला
  • हाई कोर्ट ने आरोपी को फटकार लगाई
  • साथ ही कर दी जमानत याचिका खारिज

प्रयागराज:

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने झूठ बोलकर धर्मांतरण करा निकाह के मामले से जुड़ी सुनवाई करते हुए एक बेहद तल्ख टिप्पणी की है. न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने शनिवार को कहा है कि धर्म के ठेकेदारों को अपने में सुधार लाना चाहिए. बहुसंख्यक समाज के जुड़े नागरिकों के धर्म परिवर्तन से देश कमजोर होता है. हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि इतिहास गवाह है कि जब-जब हम बंटे हैं, देश पर आक्रमण हुआ है. इस तल्ख टिप्पणी के साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आरोपी जावेद अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जावेद अंसारी पर अपहरण, षड्यंत्र और धर्मांतरण कानून के आरोप को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है.

मर्जी से शादी और धर्म अपनाना संवैधानिक अधिकार 
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने का अधिकार है. अपनी मर्जी से शादी करना संवैधानिक अधिकार है. मामले के अनुसार जावेद उर्फ जाविद अंसारी पर इच्छा के विरुद्ध झूठ बोल कर धर्मांतरण कराकर निकाह करने का भी आरोप लगा है. इन मामलों में जमानत के लिए जावेद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इस पर सुनवाई कर और तल्ख टिप्पणी करने के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी. पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया कि जावेद ने सादे और उर्दू में लिखे कागज पर दस्तखत कराए. पीड़िता ने यह भी बताया कि जावेद ने यह बात भी छिपाई कि वह पहले से शादीशुदा है और उसने झूठ बोलकर धर्म बदलवाया. 

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धर्म है जीवनशैली
दूसरी तरफ जावेद ने कोर्ट में अपने पक्ष में कहा कि दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से धर्म बदलकर शादी की है. इसके अलावा धर्मांतरण कानून लागू होने से पहले ही धर्म बदल लिया गया था. इस पर जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा, संविधान सबको सम्मान से जीने का अधिकार देता है, सम्मान के लिए लोग घर छोड़ देते हैं, अपमान के लिए धर्म बदल लेते हैं. धर्म के ठेकेदारों को अपने में सुधार लाना चाहिए, क्योंकि बहुल नागरिकों के धर्म बदलने से देश कमजोर होता है. कोर्ट ने कहा, विघटनकारी शक्तियों को इसका लाभ मिलता है, इतिहास गवाह है कि हम बंटे, देश पर आक्रमण हुआ और हम गुलाम हुए. सुप्रीम कोर्ट ने भी धर्म को जीवन शैली माना है. जस्टिस यादव ने कहा, आस्था व विश्वास को बांधा नहीं जा सकता, इसमें कट्टरता, भय लालच का कोई स्थान नहीं है, कोर्ट ने कहा कि शादी एक पवित्र संस्कार है, शादी के लिए धर्म बदलना शून्य व स्वीकार्य नहीं हो सकता.