इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के मारे जाने से परिजन स्तब्ध हैं. मृतक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के बेटे अभिषेक ने बताया, मेरे पिता चाहते थे कि मैं एक अच्छा नागरिक बनूं, जो समाज में धर्म के नाम पर हिंसा न भड़काए. आज मेरे पिता खुद ही हिन्दू-मुस्लिम विवाद का शिकार हो गए. दूसरी ओर, पुलिस अफसरों ने बताया, गायों को काटने के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में शामिल 27 लोगों को नामजद किया गया है और 60 अज्ञात लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. एक मुकदमा गोकशी के खिलाफ भी दर्ज किया गया है और दूसरा मुकदमा हिंसा के खिलाफ.
बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की मौत पर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर फिर से सवाल उठने लगे हैं. घटना के चश्मदीद सब इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने बताया, करीब 300-500 लोगों ने पुलिस फोर्स पर हमला बोल दिया था. पुलिस भौंचक थी, जब तक हम कुछ समझ पाते तब तक इंस्पेक्टर को निशाना बनाया जा चुका था.
मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया, दो लोगों को हिरासत में लिया गया है और घटना की जांच के लिए एक SIT गठित की गई है. SIT इस बात की जांच करेगी कि घटना क्यों हुई और पुलिसवालों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अकेला क्यों छोड़ दिया था?
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार 28 सितंबर से 9 नवम्बर 2015 के बीच दादरी के बिसाहड़ा में मारे गए अखलाक अहमद के मामले की जांच कर चुके हैं. उस मामले में दूसरे जांच अधिकारी ने मार्च 2016 में चार्जशीट फाइल की थी.