वाराणसी में एक ऐसा स्कूल जहां के छात्र और शिक्षक एक साथ शहीद हुए थे

देश में अधिकतर विधालय राजकोष से आगे बढे है पर बताया जाता है की  बंगाली टोला इंटर कॉलेज राजरोष में प्रफुल्लित हुआ 1854 में यूपी का पहला आधुनिकरण विद्यालय की शुरुवात वाराणसी के बंगाली टोला इंटर कॉलेज के रूप में हुई थी

author-image
Ritika Shree
New Update
A school in Varanasi where students and teachers were martyred

वाराणसी का एक ऐसा स्कूल जहां शहीद हुए छात्र और शिक्षक( Photo Credit : गूगल)

विद्यालय व्यक्ति को शिक्षित होने के साथ इंसानियत का पाठ भी पढ़ाता है पर वाराणसी में एक ऐसा विद्यालय है जिस विद्यालय के छात्र और शिक्षकों ने स्वतंत्रा आंदोलन में अपनी जान देकर देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाई थी और अपने इस गौरव को आज भी स्कुल अपने अंदर समेटे हुए है बाकायदा स्कुल में प्रेवश करने से पहले एक शहीद वेदी बनायी गयी है जिसमे इनके नाम दर्ज है ये विधालय है वाराणसी का बंगाली टोला इंटर कॉलेज. देश में अधिकतर विधालय राजकोष से आगे बढे है पर बताया जाता है की बंगाली टोला इंटर कॉलेज राजरोष में प्रफुल्लित हुआ 1854 में यूपी का पहला आधुनिकरण विद्यालय की शुरुवात वाराणसी के बंगाली टोला इंटर कॉलेज के रूप में हुई थी, इस विधालय के संस्थापक योगी राज श्यामा चरण लाहिरी जैसे विभूति थे, उन्होंने इस विद्यालय को मुक्ति की प्रेणा मिली और इसी प्रेणा ने इस विद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थियों में पराधीन भारत में मुक्ति यानी आजादी का बोध भली भाँती था और इसका परिणाम ये हुआ की काशी के स्वतंत्रता संग्राम के लगभग 75% लोग इसी विद्यालय की देन थे.

Advertisment

1905 में बंग - भंग आंदोलन से विधालय के अंदर आजादी का बीज फूटा और यही से स्वतंत्रा संग्राम प्रफुल्लित हुआ और यहाँ के छात्र और शिक्षक आजादी के लड़ाई में खुद पड़े और इसका जीता जागता उदहारण ये शहीद वेदी है जिसमे दस नाम जो वर्णित है उनमे शिक्षक और छात्र दोनों ही है जिन्होंने अपने अक्षम्य साहस के बलबूते अंग्रेजो को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया था और ये शायद ऐसा पहला विद्यालय होगा जहा छात्र और शिक्षक दोनों ही आजाद भारत का सपना लिए स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिए. आज विद्यालय काफी विकसित हो चुका है पर आधुनिकता की इस दौड़ में भी बनारस का ये बंगाली टोला इंटर कॉलेज आज भी अपने वसूलो से समझौता नहीं करता विद्यालय में प्रवेश से पहले और पठन - पाठन से पहले विधलाय के प्रधानाचार्य शहीद वेदी की पर माल्यार्पण करते है और उनका साथ छात्र भी देते है फिर देशभक्ति गीत और राष्ट्रगीत के माध्यम से उन शहीदों को नमन किया जाता है.विधालय के प्रधानचार्य और शिक्षक दोनों ही कहते की शायद ही ऐसा स्कुल इसके अलावा हो जहा इस तरह की शहीद वेदी नजर आती हो और इसका असर बच्चो पर ये होता है की यहाँ सव धर्म के साथ - साथ राष्ट्र धर्म का भी उदभव होता है की है की जब जरुरत हो हम राष्ट्र के लिए परिवार से पहले खड़े नजर आये.

इस विद्यालय में पढ़ते हुए और पढ़ाते हुए जो भारत माता के कदमो में शहीद हो गए उनमे थे
सुशिल कुमार लाहिड़ी - अध्यापक - मृत्युदंड

  • श्री सचिन्द्र नाथ सान्याल - छात्र - (काकोरी काण्ड में ) आजीवन कारावास
  • सुरेश चंद्र भटाचार्य  -छात्र -  (काकोरी काण्ड में )7  वर्ष  कारावास
  • जितेंद्र नाथ सान्याल - (बनारस लाहौर षड्यंत्र में ) छात्र - सश्रम कारावास
  • प्रियनाथ भटाचार्य -(बनारस षड्यंत्र में )छात्र - 2 वर्ष कारावास
  • रविंद्र नाथ  सान्याल - (बनारस षड्यंत्र में ) - छात्र - कारावास
  • सुरेंद्र नाथ मुख़र्जी -(बनारस षड्यंत्र में ) - छात्र - कारावास
  • विभूति भूषण गांगुली - छात्र - नजरबंद
  • विजय नाथ चक्रवर्ती - अध्यापक - बनारस से निर्वासन
  • रमेश चंद्र जोयेरदार - अध्यापक - बनारस से निर्वासन

ये वो महान विभूतिया थी जिनके नाम का शायद वेदी विद्यालय में अंकित है और ये सिर्फ यहाँ का नहीं बल्कि पुरे भारतवर्ष के लिए गर्व का न खत्म होने वाला एहसास है.  यहाँ के पुरातन छात्र और विद्यालय के शिक्षक बताते है ये शहीद वेदी और इनमे लिखे नाम यहाँ पढ़ने आने वाले छात्रों में देश प्रेम का जज्बा तो भरता ही है साथ ही में देश में प्रति उनकी क़ुरबानी के जज्बे को भी दर्षाता है. इस विद्यालय के स्थापना के 163 साल पुरे हो चुके है पर यहाँ के छात्रों के अंदर देश प्रेम की भावना में कोई बदलाव नहीं हुआ और ख़ास तौर पर इस शहीद वेदी को देखकर इनके अंदर देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना हमेशा नजर आती है छात्र बताते है की जिस तरह विद्यालय के शिक्षक और छात्रों ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भागीदारी निभाई थी जरुरत पड़ने पर हम हमेशा अपने देश के लिए तैयार है अपने स्कुल में शहीद वेदी देखकर छात्र अपने आपको गौरवांतित महसूस करते है.

HIGHLIGHTS

  • काशी के स्वतंत्रता संग्राम के लगभग 75% लोग इसी विद्यालय की देन थे
  • 1905 में बंग - भंग आंदोलन से विधालय के अंदर आजादी का बीज फूटा
  • शहीद वेदी ने अपने अक्षम्य साहस के बलबूते अंग्रेजो को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया था

Source : News Nation Bureau

75th-independence-day martyred 15th August students and teachers school varanasi
      
Advertisment