प्रतिष्ठित गांधीवादी और स्वतंत्रता सेनानी चिम्मन लाल जैन का शनिवार की सुबह को उनके आवास पर निधन हो गया. उनका घर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के आगरा के पथवारी क्षेत्र में है. वह 101 साल के थे. आज देर शाम को ताज गंज में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
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बीते कुछ सालों तक उन्होंने शराब और नशे की लत के खिलाफ सफलतापूर्वक अभियान का नेतृत्व किया. चिम्मन लाल जैन ने आगरा में शराबबंदी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. उन्होने कई बार आत्मदाह की चेतावनी दी थी. हालांकि उससे पहले ही उन्हें नजरबंद तक कर दिया जाता था. आगरा के दीवानी चौराहे पर भारत माता की क्षतिग्रस्त प्रतिमा को बदलने के लिए भी जैन ने अनशन किया था. उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था और वह कई बार जेल भी जा चुके हैं.
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जैन 1942 से ही राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए थे. नवंबर 1942 को आगरा कॉलेज के प्रधानाचार्य दफ्तर में बम विस्फोट और जनवरी 1943 में पुरानी कोतवाली सिटी पोस्ट ऑफिस को बम से उड़ाने जैसी कुछ घटनाओं में भी उनकी भूमिका रही थी. स्वतंत्रता सेनानी चिम्मन लाल जैन 1942 में हुई अगस्त क्रांति में लगभग 3 साल जेल में रहे थे. इसके बाद चिम्मन लाल जैन ने इंदिरा गांधी के शासन में आपातकाल का विरोध किया था, जिस पर उन्हें साल 1975-77 तक जेल की सजा मिली थी.
Source : IANS