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कर्नाटक में भाजपा सरकार और पार्टी में ठनी, नड्डा का कार्यक्रम भी करना पड़ा रद्द

19 जुलाई को दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे गांव में जब एक समुदाय के लोगों ने 19 साल के मसूद की पिटाई कर दी गई. इसके बाद 21 जुलाई को मसूद की मौत अस्पताल में हो गई. पुलिस ने करवाई की और इस हत्या में शामिल 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

Updated on: 30 Jul 2022, 06:59 PM

बेंगलुरु:

19 जुलाई को दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे गांव में जब एक समुदाय के लोगों ने 19 साल के मसूद की पिटाई कर दी गई. इसके बाद 21 जुलाई को मसूद की मौत अस्पताल में हो गई. पुलिस ने करवाई की और इस हत्या में शामिल 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद 26 जुलाई को इसी इलाके में बीजेपी युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेट्टर की हत्या कुछ लोगों ने कर दी. इसके बाद दक्षिण कन्नड़ जिले के साथ-साथ पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. 

इस के घटना के बाद प्रदेश की बीजेपी सरकार के खिलाफ बीजेपी के कार्यकर्ता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इन लोगों का आरोप है कि प्रदेश में बीजेपी सरकार होने के बावजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे है. विरोध इतना ज्यादा हुआ कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने अपने कार्यकाल एक साल पूरा होने पर जो कार्यक्रम रखा था, उसको भी रद्द करना पड़ा. इस कार्यक्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होने वाले थे. 

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पुलिस ने इस हत्या के मामले में अभी तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है और 25 अन्य लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है, जिन दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. वह दक्षिण कन्नड़ जिले के रहने वाले जाकिर और शफीक हैं. हालांकि पुलिस ने अभी तक इन दोनों आरोपियों का इस हत्या में क्या रोल है, इसकी जानकारी नहीं दी है. पुलिस अभी इस मामले की जांच कर ही रही थी कि 28 जुलाई की रात को कुछ अज्ञात लोगों ने दक्षिण कन्नड़ जिले और बेंगलुरु शहर के सूरतकल इलाके में फाजिल नाम के एक शख्स की हत्या कर दी. इस हत्या के बाद पूरे बेंगलुरु शहर में धारा 144 लगा दी गई है. इस मामले में पुलिस ने अब तक 20 लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है.

दरअसल, कोस्टल कर्नाटक यानी दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों में इस तरह के हमले पहली बार नहीं हुए है. कोस्टल कर्नाटक का यह हिस्सा हमेशा से ही काफी संवेदनशील रहा है. जानकारों के मुताबिक इसके पीछे दो वजह है. पहली वजह है केरल के साथ रिश्ता और दूसरी वजह है 90 की दशक के बाद इस इलाके में बीजेपी का प्रभाव . मंगालुरू और उडुपी केरल सीमा के साथ जुड़ा है. इन इलाकों में हायर एजुकेशन को लेकर-बड़े बड़े कॉलेज हैं, जिस वजह से केरल के ज्यादातर युवा यहां पढ़ने आते हैं. लिहाजा, इस इलाके में केरल का काफी प्रभाव पड़ा है. 

वहीं, 90 की दशक में बीजेपी ने भी इस इलाके में अपने पैर जमाए, जिसके बाद इस इलाके में राजनीतिक समीकरण बदल गया. संस्कृति के नाम पर हिंदूवादी संगठनों की मोरल पुलिसिंग शुरू हो गई, जिस वजह से दोनों समुदायों के बीच दूरियां बढ़ती चली गई. मंगलुरु में ही 2009 में श्री राम सेना ने मंगलुरु में एक लब पर हमला भी किया था. 2009 के बाद ही इस इलाके में पीएफआई ने भी अपना कैडर तयार किया और फिर शुरू हुआ इस इलाके में सांप्रदायिक हिंसा को वो दौर, जो अभी तक खत्म नहीं हुआ.