तमिलनाडु सरकार ने शराब की दुकानों को बंद किए जाने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी
तमिलनाडु सरकार ने शराब की सरकारी दुकानों को बंद किये जाने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया.
दिल्ली:
तमिलनाडु सरकार ने शराब की सरकारी दुकानों को बंद किये जाने संबंधी मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. सरकार ने कहा कि इससे राजस्व को ‘‘भारी नुकसान’’ होगा और व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह से रुक जाएंगी. उच्च न्यायालय ने इस आधार पर शराब की दुकानों को बंद किये जाने का आदेश दिया था कि यह कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन है.
मद्रास उच्च न्यायालय ने राज्य में शराब की सभी सरकारी दुकानों को बंद करने का शुक्रवार को आदेश दिया था. हालांकि, अदालत ने शराब की ऑनलाइन बिक्री पर छूट दी है. राज्य सरकार ने अपनी अपील में कहा कि पूरे राज्य में शराब को घर-घर पहुंचाना संभव नहीं है. अधिवक्ता जी. राजेश और कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने शराब की दुकानों के सामने भीड़ और सामाजिक दूरी के नियमों के उल्लंघन को संज्ञान में लेते हुए यह आदेश पारित किया था.
राज्य में शराब की बिक्री करने वाली एक सरकारी फर्म तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमसी) ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है और शराब बेचने की अनुमति दिये जाने का आग्रह किया. मार्च के आखिर में कोविड-19 के कारण लगाये गये लॉकडाउन के चलते 43 दिनों तक शराब की दुकानें बंद रहने के बाद बृहस्पतिवार को राज्य की राजधानी चेन्नई को छोड़कर निगम की दुकानों पर शराब की फिर से बिक्री की अनुमति दी गई थी. ज्यादातर स्थानों पर शराब की दुकानों पर भारी भीड़ देखने को मिली थी.
इसके बाद विपक्षी पार्टियों और अन्य ने आशंका जताई थी कि इससे कोरोना वायरस तेजी से फैलेगा. निगम ने कहा कि इस मुद्दे पर 10 जनहित याचिकाएं लंबित हैं और ‘‘यह विश्वास करने के कई कारण हैं कि यदि सभी रिट याचिकाएं कुछ निहित निजी स्वार्थों द्वारा दायर नहीं की गई हैं, तो इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से व्यावसायिक लाभ उठाया जा सके.’’ अपील में कहा गया है कि राज्य सरकार ने पांच मई को शराब की दुकानों को खोलने का फैसला किया था.
उच्च न्यायालय ने राज्य में जिन याचिकाकर्ताओं की याचिका पर शराब की दुकानों को बंद करने के आदेश दिये थे उनमें से कुछ ने कैविएट दायर कर उच्चतम न्यायालय का रूख किया है और उन्होंने आग्रह किया है कि निगम की याचिका पर कोई आदेश पारित किये जाने से पहले शीर्ष अदालत को उनका पक्ष भी सुनना चाहिए.
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