NPR की कवायद को लेकर तमिलनाडु विधानसभा में द्रमुक और सरकार में खिंचीं तलवारें
मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी से राज्य में एनपीआर की कवायद नहीं होने की घोषणा करने का अनुरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि जनगणना के नए फार्म कई सवाल खड़े करते हैं.
चेन्नई:
तमिलनाडु विधानसभा में गुरुवार को राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर)को लेकर द्रमुक और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस हुई. द्रमुक ने आरोप लगाया कि इसमें इस्लामी पर्वों का जिक्र नहीं है जबकि सत्ताधारी अन्नाद्रमुक ने कहा कि 2010 की नियमावली में भी यह नहीं थे. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी से राज्य में एनपीआर की कवायद नहीं होने की घोषणा करने का अनुरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि जनगणना के नए फार्म कई सवाल खड़े करते हैं. उन्होंने यह मुद्दा उठाते हुए कहा, “नये एनपीआर फार्म में माता पिता के जन्म का स्थान और जन्म की तारीख जैसी जानकारी मांगी गई है.
अगर कोई उचित प्रमाणपत्र नहीं हैं तो लोगों से त्योहार का समय बताने को कहा गया है. इस सूची में इस्लामी त्योहारों का जिक्र नहीं है. यह अपने आप में धार्मिक बंटवारे को उजागर करता है.” उप मुख्यमंत्री ओ पनीरसेलवम ने कहा, “हम सभी त्योहार- रमजान, बकरीद, पोंगल और दीपावली मनाते हैं.” उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है. राजस्व मंत्री आर बी उदयकुमार ने कहा, ‘‘2010 में जारी एनपीआर नियमावली में भी इस्लामी त्योहार नहीं थे. 2010 की एनपीआर नियमावली में जो भी पर्व शामिल थे वे 2020 की नियमावली में भी हैं.’
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