Karnataka Crisis : कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, कल 10ः30 बजे आएगा फैसला
पहले 10 विधायकों ने याचिका दायर की थी और बाद में बाकी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी.
नई दिल्ली:
कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर के 16 विधायकों ने खुद का इस्तीफा स्वीकार न किए जाने के बाद स्पीकर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पहले 10 विधायकों ने याचिका दायर की थी और बाद में बाकी विधायकों ने भी सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. इससे पहले शुक्रवार को भी इस मामले में सुनवाई हुई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में विस्तार से सुनवाई की जरूरत है, लिहाजा कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख मंगलवार यानी 16 फरवरी रखी थी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच आज इस पर फैसला सुना सकती है. दूसरी ओर, मुंबई के रिजॉर्ट में रुके हुए बागी विधायकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. होटल में रुके सभी विधायक अब ऊपरी फ्लोर में चले गए हैं. साथ ही साथ आसपास सुरक्षा के कई घेरे तैयार किए गए हैं. वहीं 18 जुलाई को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होनी है. मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने बहुमत का दावा किया है. वहीं बीजेपी सरकार के अल्पमत में होने की बात कहकर कुमारस्वामी सरकार से इस्तीफा मांग रही है.
सुप्रीम कोर्ट कल तय करेगा कि पहले विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होगा या स्पीकर अयोग्यता की कार्रवाई को आगे बढ़ा सकते हैं. 18 जुलाई को होने वाले कांग्रेस-जेडीएस सरकार के बहुमत परीक्षण पर आदेश का सीधा असर पड़ेगा.
कर्नाटक का सियासी संग्राम- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा. कल साढ़े दस बजे कोर्ट आदेश सुनाएगा.
चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि हमने स्पीकर को हमेशा ऊंचा दर्ज़ा दिया है, लेकिन पिछले 20-30 सालों में जो कुछ हुआ, इस पर गम्भीरता से पुनर्विचार की ज़रूरत है. अभी तक मुकल रोहतगी और सिंघवी ने जो जिरह की है. दोनों के पास अपने अहम तर्क हैं और हम संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे. सिंघवी ने दलील दी कि यहां जस्टिस सीकरी के पिछले साल मई में दिये गए आदेश का ग़लत हवाला दिया गया है (कनार्टक में फ्लोर टेस्ट वाला). तब वहां कोई स्पीकर नहीं था,कोई सरकार नहीं थी. तब प्रोटेम स्पीकर को कोर्ट की ओर से निर्देश दिए गए थे.
स्पीकर को निर्देश देने की सुप्रीम कोर्ट के अधिकार की चर्चा के बीच चीफ जस्टिस ने सिंघवी को याद दिलाया कि पिछले साल हमने 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था, तब आपने कोई ऐतराज नहीं किया, क्योंकि वो आपके पक्ष में था.
सिंघवी- एक MLA अयोग्य करार देने से बचने के लिए इस्तीफा देने का विकल्प चुन सकता है.
इस पर चीफ जस्टिस बोले- एक स्पीकर एक एमएलए को अयोग्य करार दे सकता है, जो इस्तीफा देना चाहता हो.
सिंघवी- मेरा कहना है कि स्पीकर को अभी अयोग्य करार दिए जाने पर फैसला देना है. आखिरकार कैसे विधायक इस्तीफा देकर अयोग्य करार दिये जाने से बच सकते है.
चीफ जस्टिस- क्या10वीं अनुसूची और आर्टिकल 190 एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं.
सिंघवी - हाँ
चीफ जस्टिस ने सिंघवी से पूछा कि आखिर क्यों विधायको के मिलने के लिए समय मांगने के बावजूद स्पीकर उनसे नहीं मिले और आखिरकार विधायकों को कोर्ट आना पड़ा. इस पर सिंघवी ने कहा, यह ग़लत तथ्य है. स्पीकर ने हलफनामे में साफ किया कि विधायकों ने मिलने के लिए समय ही नहीं मांगा था.
स्पीकर की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी बोल रहे हैं. रोहतगी ने एक तथ्यात्मक ग़लती की है. सभी विधायकों के खिलाफ अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही उनके इस्तीफे से पहले ही शुरू हो चुकी है. स्पीकर के सामने सभी विधायक 11 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से पेश हुए. उससे पहले नहीं और 4 विधायक तो आज तक पेश नहीं हुए हैं.
मुकल रोहतगी ने पिछले साल मई के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने BJP सरकार को बहुमत साबित करने के लिए एक दिन के अंदर फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कहा था. रोहतगी की दलील पूरी हो गई है. अब सिंघवी स्पीकर की ओर से दलीले रखेंगे.
चीफ जस्टिस (रोहतगी से) - कितने अधिकार तक, किस तरह के निर्देश कोर्ट स्पीकर को जारी कर सकते है?
मुकल रोहतगी-एक संवैधानिक कोर्ट के लिए कोई रोक नहीं है कि वो स्पीकर को किस समयसीमा के अंदर इस्तीफे पर फैसला देने के लिए कहे. उनसे (स्पीकर) से आज ही इस्तीफे स्वीकार किये जाने के लिए बोला जाना चाहिए.
रोहतगी ने कहा, स्पीकर इस्तीफे के सही होने पर सिर्फ इसलिए सवाल नहीं उठा सकते कि उनके खिलाफ अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही लंबित है. विधायक को इस कार्यवाही के लंबित रहते भी इस्तीफा देने का अधिकार है. क़ानून में इस पर कहां रोक है.
मुकल रोहतगी केरल हाई कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला दे रहे हैं, जिसमें एक विधायक के इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया, जबकि उनके खिलाफ काफी वक़्त से अयोग्य करार दिए कार्यवाही लंबित थी.
चीफ जस्टिस (रोहतगी से) - हम स्पीकर को ये नहीं कह सकते कि वो किस तरीके से इस्तीफे या अयोग्य करार दिये जाने के अपने फैसले को लेंगे. हमारे सामने सवाल महज इतना कि क्या कोई ऐसी संवैधानिक बाध्यता है कि स्पीकर अयोग्य करार दिए जाने की मांग से पहले इस्तीफे पर फैसला लेंगे या दोनों पर एक साथ फैसला लेंगे
रोहतगी-अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही शुरू क्यों की गई? सिर्फ इसलिए क्योंकि वो पार्टी के अनुशासित सिपाही की तरह काम नहीं कर रहे थे. हमारा कहने का मतलब ये नहीं कि स्पीकर फैसला नहीं ले सकता. हमारी आपत्ति सिर्फ इस बात को लेकर है कि इसके चलते इस्तीफे को लेकर फैसला रोका नहीं जा सकता.
रोहतगी- विधायक स्पीकर के सामने, मीडिया के सामने अपनी राय जाहिर कर चुके हैं कि वो अपनी मर्जी से इस्तीफा दे रहे हैं, फिर स्पीकर किस बात की जांच चाहते हैं. अगर विधायक असेंबली नहीं अटेंड करना चाहता, तो क्या उन्हें इसके लिए मजबूर किया जा सकता है
रोहतगी- अगर कोर्ट पहुंचे विधायकों की संख्या हटा ली जाए तो कर्नाटक की सरकार अल्पमत में आ जायेगी.
रोहतगी ने कहा, विधायक ये नहीं कह रहे कि अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही खारिज की जाए. आप वो कार्यवाही जारी रखें, लेकिन अब वो विधायक नहीं रहना चाहते. वो जनता के बीच जाना चाहते हैं. ये मेरा अधिकार है कि मैं जो चाहे करूं. स्पीकर मेरे अधिकार में बाधा डाल रहे हैं.
मुकुल रोहतगी ने कहा, 10 जुलाई को 10 विधायकों ने इस्तीफा दिया. इनमें से दो के खिलाफ अयोग्य करार दिए जाने की प्रक्रिया लंबित थी. उन दो में से उमेश जाधव भी थे. स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया, तब स्पीकर को इस पर ऐतराज नहीं हुआ कि उनके खिलाफ अयोग्य करार दिये जाने की कार्यवाही लंबित है.
रोशन बेग के वकील ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर आईएमए घोटाले में अपने मुवक्किल को हिरासत में लेने पर सवाल उठाया है.
#Karnataka: Roshan Baig's advocate has filed a petition in High Court questioning the detention of his client in connection with IMA case. (file pic) pic.twitter.com/cXjrkdahKV
— ANI (@ANI) July 16, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकल रोहतगी से इस विवाद में पहले दिन से हुए Devlopment के बारे में जानकारी मांगी है. अब रोहतगी सिलसिलेवार तरीके से पहले दिन से बदलते घटनाक्रम की जानकरी कोर्ट को दे रहे हैं
रोहतगी ने कहा, स्पीकर के सामने विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने की याचिका का लंबित होना, उन्हें उनके इस्तीफे पर फैसला लेने से किसी तरह से नहीं रोकता, ये दोनों अलग अलग मामले हैं.
बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकल रोहतगी दलीलें पेश कर रहे हैं.
बेंगलुरु: रोशन बेग, जिन्हें आईएमए घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने कल रात हिरासत में लिया था, से फिलहाल कार्लटन हाउस स्थित सीआईडी मुख्यालय में पूछताछ की जा रही है.
Bengaluru: Roshan Baig, who was detained last night by SIT probing the IMA case, is currently being questioned at CID Headquarters at Carlton House. pic.twitter.com/2zimBdLj0R
— ANI (@ANI) July 16, 2019
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