आंध्र प्रदेश: मुहर्रम के जुलूस के दौरान हादसा छत ढहने से 20 लोग गंभीर रूप से घायल, देखें वीडियो
छत ढहने के बाद वहां अफर-तफरी का माहौल बन गया और भगदड़ मच गई.
नई दिल्ली:
आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में बी खंड्रापाडु गांव मे सोमवार की देर रात मुहर्रम के जुलूस के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया जिसमें लगभग 20 लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं. घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. मामला कुछ ऐसा हुआ कि बी खंड्रापाडु गांव में इस्लाम धर्म के लोग मुहर्रम का जुलूस निकाल रहे थे इस दौरान काफी लोग जुलूस देखने के लिए आस-पास के घरों की छतों पर चढ़ गए जिसके बाद अचानक से एक घर की छत ढह गई जिसमें काफी लोगों को चोट आईं और लगभग 20 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. छत ढहने के बाद वहां अफर-तफरी का माहौल बन गया और भगदड़ मच गई.
#WATCH Andhra Pradesh: Portion of a terrace collapsed during a Muharram procession, in B.thandrapadu village of Kurnool district, late last night. 20 people injured. They were later taken to a hospital for treatment. pic.twitter.com/k2tPpsouCC
— ANI (@ANI) September 10, 2019
पिछले साल भी मुहर्रम में हुआ था हादसा
पिछले साल भी मोहर्रम के दिन यूपी में बड़े हादसे हुए थे जिसमें अलग-अलग जगहों पर पांच लोगों की मौत हो गई थी और आधा दर्जन से ज्यादा जगहों पर ताजिया में आग लगने से 68 लोग झुलस गए थे. यूपी के बलिया जिले में सबसे ज्यादा तीन लोगों की मौत हुई थी. मुरादाबाद व अमरोहा में ऊंचे ताजिये झूलते तारों से छू गए. इससे चिन्गारी निकली थी और ताजियों में करंट उतर आया था जिसकी वजह से ताजियों में आग भी लग गई थी. बलिया के सिकंदरपुर में ताजिया दफन कर वापस लौट रहे लोगों के ट्रैक्टर पर रखी ताजिया में लगी लोहे की छतरी में करंट उतर आया जिसकी वजह से जिन्दापुर निवासी समी खां (22), सलीम खां (18) व उमरान (18) की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि इस हादसे में चार लोग बुरी तरह झुलस गए थे.
क्यों मनाते हैं मुहर्रम का मातम
इस्लाम धर्म में नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीने से होती है इसे साल-ए-हिजरत भी कहते हैं क्योंकि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद साहब इसी समय में मक्का से मदीना गए थे. इस्लाम धर्म में मुहर्रम किसी त्योहार या खुशी का महीना नहीं है, बल्कि ये महीना बेहद गमों से भरा हुआ है. इतना ही नहीं दुनिया की तमाम इंसानियत के लिए ये महीना एक नई सीख देने वाला है. लगभग 1400 साल पहले मुहर्रम के महीने में इस्लामिक तारीख की एक ऐतिहासिक और रोंगटे खड़े कर देने वाली जंग हुई थी. जिसमें अहल-ए-बैत (नबी के खानदान) ने अपनी जान को कुर्बान कर इस्लाम धर्म की रक्षा की थी. इराक की राजधानी बगदाद से करीब 120 किलोमीटर दूर कर्बला में हुई. इस जंग में इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ बेरहमी से कत्ल कर दिया गया था तब से इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की कुर्बानी की याद में ही मुहर्रम मनाया जाता है. मुहर्रम शिया और सुन्नी दोनों समुदाय के लोग मनाते हैं हालांकि, दोनों इस मातम को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं.
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