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कर्नाटक : विधायकों को अयोग्‍यता से राहत नहीं, लड़ सकेंगे विधानसभा चुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला

कर्नाटक के अयोग्‍य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए उन्‍हें आधी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्‍पीकर द्वारा विधायकों को पूरे सत्र के लिए अयोग्‍य करार देने के फैसले से राहत दे दी है.

Updated on: 13 Nov 2019, 11:41 AM

नई दिल्‍ली:

कर्नाटक के अयोग्‍य विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए उन्‍हें आधी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के स्‍पीकर द्वारा विधायकों को पूरे सत्र के लिए अयोग्‍य करार देने के फैसले से राहत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव लड़ने से किसी को हमेशा के लिए रोका नहीं जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात से भी नाराजगी जताई कि अयोग्‍य विधायकों ने जिस तरह सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, वह गलत था. उन्‍हें पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, यह समान रूप से सरकार और विपक्ष के लिए बाध्यकारी है.

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कर्नाटक विधानसभा के स्‍पीकर केआर रमेश द्वारा विधायकों को अयोग्‍य करार दिए जाने के फैसले पर टिप्‍पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज एनवी रमन्‍ना ने कहा, हम स्‍पीकर के फैसले कायम रखेंगे. साथ ही उन्‍होंने कहा, सभी 17 विधायक विधानसभा का चुनाव लड़ सकेंगे.

बता दें कि कर्नाटक में कुछ महीने पहले लंबे चले सियासी ड्रामे के बाद स्‍पीकर ने 17 विधायकों को अयोग्‍य करार दिया था. इन विधायकों ने कांग्रेस और जनता दल सेक्‍युलर से इस्‍तीफा दे दिया था, जिससे राज्‍य में बीजेपी की सरकार बनने का रास्‍ता साफ हो गया था. इन विधायकों के इस्‍तीफे से कुमारस्‍वामी की सरकार अल्‍पमत में आ गई थी और बाद में बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्‍पा ने सरकार बनाई थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्‍पीकर को अधिकार है कि वह विधायकों की योग्‍यता और अयोग्‍यता पर फैसला ले सकें. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पूरे सत्र के लिए विधायकों को अयोग्‍य ठहराने के फैसले को पलट दिया. इसका मतलब यह हुआ कि विधायक अब चुनाव लड़ सकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बीजेपी ने स्‍वागत किया है. बीजेपी प्रवक्‍ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा, मेरे हिसाब से जनता के चुने हुए हर नेता चाहे वो विधायक हो या सांसद हो उसे अपने पद से इस्तीफे का अधिकार होना चाहिए. उन्हें ऐसा करने पर सियासी शिकार नहीं बनाना चाहिए, जैसा कि कर्नाटक में स्पीकर ने किया और जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज़ कर दिया. यह एक स्वागतयोग्य फैसला है.