केरल के कासरगोड में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 23 मार्च को आला पुलिस अधिकारी विजय सखारे को राज्य के उत्तर में स्थित इस जिले का विशेष अधिकारी नियुक्त किया. सखारे की नियुक्ति के तीन सप्ताह बीतते-बीतते यह जिला लोगों के लिए सुरक्षित बनता गया. आज, केरल पुलिस की कासरगोड पहल को लेकर यह चर्चा शुरू हो चुकी है कि देश में संक्रमण से प्रभावित अन्य इलाकों में भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है . कासरगोड में 31 मार्च तक कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 106 हो गयी थी.
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छह अप्रैल को संक्रमित लोगों की संख्या 164 थी और पिछले छह दिनों में केवल 14 मामले सामने आए हैं . इस तरह जिले में संक्रमित लोगों की संख्या घट चुकी है . कोच्चि शहर के पुलिस आयुक्त सखारे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह सब हमारी रणनीति की बदौलत हो पाया . मूल रूप से हमारी रणनीति तीन कदमों पर आधारित है . इसका मकसद यह है कि लोग आपसी मेलमिलाप से बचें और संक्रमण ना फैले.’’ विशेष अधिकारी का प्रभार संभालने के बाद अधिकारी ने संक्रमण रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन की तर्ज पर बंद के लिए तीन तरह के कदम उठाए.
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सखारे ने बताया कि विदेशों से, खासकर खाड़ी देशों से आए कोविड-19 संक्रमित लोगों के सीधे और परोक्ष रूप से संपर्क में आए लोगों को पूर्ण रूप से पृथक करने के अभियान के तहत ये कदम उठाए गए . उन्होंने कहा, ‘‘पहले कदम के तहत पुलिस व्यवस्था के पारंपरिक तरीके अपनाए गए . जैसे कि सड़क को बंद किया गया, हर जगह गश्त बढ़ा दी गयी. इस तरह हम लोगों को घरों से निकलने से रोकने में कामयाब रहे.’’ दूसरे कदम के तहत, सभी संक्रमित मामलों, घर पर पृथक भेजे गए लोगों, दूसरे देशों से आए सभी लोगों और संक्रमित लोगों के सीधे या परोक्ष रूप से संपर्क में आए लोगों का स्थानिक आंकड़ा तैयार किया गया. उन्होंने कहा ‘‘ इससे बहुत दिलचस्प तस्वीर उभरी . हमने पाया कि सारे संक्रमित मामले जिले के पांच थानों के तहत सात इलाके से ही आए हैं .’’ आईपीएस अधिकारी ने कहा ‘‘ हमने इलाके की घेराबंदी कर दी.
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इलाके की सभी सड़कों को बंद कर दिया . किसी को भी ना जाने दिया गया ना बाहर निकलने दिया गया. ’’ सखारे के अनुसार, विदेश से आए जिन लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई, उन लोगों ने अपने किन रिश्तेदारों, दोस्तों से मुलाकात की, इसकी भी सूची बनायी गयी. इन सबकी पहचान के बाद तीसरा कदम उठाया गया. उन्होंने कहा, ‘‘तीसरे कदम के तहत हमने उनके घरों के बाहर पहरा लगा दिया. हमने प्रभावित लोगों के 10-12 घरों तक के लिए पुलिस को गश्त पर तैनात किया. पुलिसकर्मी उनके पास जाकर घरों में रहने का महत्व उन्हें समझाते थे . इसके अलावा, उनके संपर्क में आए लोगों की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया.’’ सखारे ने बताय कि सीधे या परोक्ष रूप से, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों के मोबाइल फोन में कोविड-19 के सेफ्टी ऐप भी डाउनलोड करवाए गए . पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर कोई अपने घरों से निकलने की कोशिश करता तो हम चौकस हो जाते थे. ऐसी स्थिति में ऐसे लोगों को सरकारी पृथक केंद्र में भेजते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की गयी.
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तीसरे कदम के तीन दिन बाद हमने 107 लोगों को सरकारी पृथक केंद्र भेज दिया क्योंकि उनका बर्ताव समाज के लिए खतरनाक था. पुलिस अधिकारी ने कहा ‘‘घर में पृथक किए गए 10,700 से ज्यादा लोगों के मोबाइल फोन में ऐप डाउनलोड किया गया . जिला पुलिस ने इन इलाकों में घरों तक जरूरी सामग्री पहुंचाने की व्यवस्था की ताकि लोग बाहर ना निकलें . घर तक सामान पहुंचाने की व्यवस्था बाद में पूरे जिले में लागू की गयी.’’ उन्होंने बताया कि पुलिस ने कासरगोड सुरक्षा ऐप की शुरुआत की . इसके जरिए बीमार लोगों को डॉक्टर से परामर्श लेने की सुविधा मिली. पुलिस अधिकारी ने बताया कि 14 अप्रैल के बाद 21 अप्रैल तक हमें उम्मीद है कि जिले में संक्रमण के केवल 12 से 14 मामले रहेंगे. उन्होंने कहा कि महीने के अंत तक संख्या घट कर इकाई संख्या में रह जाएगी और अब से चार सप्ताह बाद ‘‘मुझे उम्मीद है कि मामला शून्य पर पहुंच जाएगा . संक्रमण का कोई मामला नहीं रहेगा.’’ जिले में संक्रमित 166 लोगों में 73 लोग ठीक हो चुके हैं . सोमवार को संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया.
Source : Bhasha