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कर्नाटक HC ने राज्य सरकार को दिल्ली की नीति पर विचार करने का दिया आदेश

केजरीवाल सरकार की नीति से कर्नाटक हाईकोर्ट भी प्रभावित है और कर्नाटक सरकार को दिल्ली की नीति पर विचार करने का आदेश दिया है.

Updated on: 03 Mar 2021, 05:06 PM

नई दिल्ली:

केजरीवाल सरकार की नीति से कर्नाटक हाईकोर्ट भी प्रभावित है और कर्नाटक सरकार को दिल्ली की नीति पर विचार करने का आदेश दिया है. सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने पिछले साल मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना को लागू किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ दिल्ली में रहने वाले 29077 अधिवक्ताओं को मिल रहा है. अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार से पूछा कि क्या दिल्ली सरकार की तरह किसी इंश्योरेंस कंपनी के साथ मिलकर क्या योजना पर काम किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और केंद्र सरकार से भी मामले पर जवाब मांगा है.

सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार की ओर से लागू की गई योजना से कर्नाटक हाईकोर्ट भी प्रभावित है. केजरीवाल सरकार की ओर से मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना को लागू किया गया है, जिसको लेकर अब कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार को नीति पर विचार करने का आदेश दिया है. 

कर्नाटक हाइकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से कहा कि बार एसोसिएशन, राज्य सरकार के अधिकारियों, एलआईसी और चार सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के अधिकारियों की बैठक बुलाई जाए, जिसमें यह पता लगाया जा सके कि क्या दिल्ली सरकार की तरह वकीलों के लाभ के लिए कोई योजना बनाई जा सकती है. 

मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या दिल्ली सरकार की तरह भारतीय जीवन बीमा निगम या किसी अन्य बीमा कंपनी के साथ मिलकर काम किया जा सकता है? हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार को बार के पात्र सदस्यों के लिए उक्त योजना को बनाने पर विचार करना होगा.

29 हजार से अधिक वकीलों को मिल रहा लाभ

मुख्यमंत्री अधिवक्ता कल्याण योजना का लाभ दिल्ली में रहने वाले 29077 अधिवक्ताओं को मिल रहा है. बीमा योजना के तहत वकीलों को चिकित्सा और जीवन बीमा सुविधा मिल रही है.

राज्य सरकार को दिया दो सप्ताह का समय

कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. इसके साथ ही केंद्र सरकार से भी कहा है कि वह यह बताए कि क्या कानूनी मामलों के विभाग द्वारा कोई समिति गठित की गई है या कोई सिफारिश की गई है ताकि वकीलों को बीमा प्रदान करने के लिए योजना बनाई जा सके.