चमराजपेट मैदान में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर कर्नाटक हाई कोर्ट का आदेश 

कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीबीएमपी के उस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी,जिसमे बीबीएमपी ने कहा था कि इस मैदान का मालिकाना हक कर्नाटक के राजस्व विभाग का है.

कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीबीएमपी के उस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी,जिसमे बीबीएमपी ने कहा था कि इस मैदान का मालिकाना हक कर्नाटक के राजस्व विभाग का है.

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Pradeep Singh
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कर्नाटक हाई कोर्ट( Photo Credit : News Nation)

कर्नाटक हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने आज कर्नाटक सरकार की तरफ से इसी अदालत के सिंगल बेंच के चमराजपेट मैदान को लेकर दिए गए अंतरिम आदेश की अपील पर सुनवाई करते हुए अंतिम आदेश में बदलाव किया और राज्य सरकार को इस बात की इजाजत दे दी कि वह इस मैदान पर किसी भी तरह के धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम को आयोजित करने के निवेदन पर विचार कर सकती है. लेकिन राज्य सरकार को ये अधिकार 31 अगस्त से एक निश्चित अवधि के लिये प्राप्त होगा. हालांकि डिविजन बेंच ने स्पष्ट किया है कि इस बदलाव के आलावा, सिंगल बेंच के अंतरिम आदेश में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है.

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गौरतलब है कि चमराजपेट के इस मैदान पर कई हिन्दू संगठन  गणेश उत्सव मनाना चाहते हैं जिसके लिये उन्होंने बेंगलुरु के डेप्युटी कमिश्नर  से इजाजत मांगी थी. पर सिंगल बेंच के अंतरिम आदेश के बाद उनके आवेदन का अस्तित्व समाप्त हो गया था. इसीलिए कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट की डिविजन बेंच के सामने अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील की थी,अब डिविजन बेंच के आदेश के बाद देखना होगा की कर्नाटक की बीजेपी सरकार क्या फैसला लेती है.

गुरुवार यानी 25 अगस्त को कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने चमराजपेट मैदान को लेकर अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें यथास्थिति बनाये रखने को कहा गया था. और साल में सिर्फ दो मौकों "रमज़ान और बकरीद" के अवसर पर ईद नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी. इसके अतिरिक्त इस मैदान पर 26 जनवरी और 15 अगस्त को राष्ट्रीय झंडा फहराने की भी इजाजत दी गई थी. इन गतिविधियों के अलावा ये मैदान सिर्फ खेल का मैदान रहेगा. 

दरअसल कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने बीबीएमपी के उस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी,जिसमे बीबीएमपी ने कहा था कि इस मैदान का मालिकाना हक कर्नाटक के राजस्व विभाग का है.वक्फ बोर्ड का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के 1963 के आदेश के मुताबिक यह मैदान सेंट्रल मुस्लिम एसोसिएशन और वक्फ बोर्ड का है.

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