Karnataka Crisis: डीके शिवकुमार ने अपील कर बागी विधायकों से सही निर्णय लेने को कहा
इस विकट परिस्थिति में भी कांग्रेस के संकट मोचक और वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को उम्मीद है कि संकट टल जाएगा.
highlights
- डीके शिवकुमार ने बागी विधायकों से सही निर्णय लेने को कहा.
- राज्य कांग्रेस बात नहीं मानने पर दे रहा चेतावनी.
- फिलहाल विधानसभा गणित कुमारस्वामी के खिलाफ.
नई दिल्ली.:
कर्नाटक में आज सीएम कुमारस्वामी को विश्वास मत हासिल करना है. अनुमान है कि इसके साथ ही विगत कई दिनों से चल रहे राजनीतिक नाटक का गुरुवार को पटाक्षेप हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आए फैसले के बाद कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल और गहरा गए हैं. इस विकट परिस्थिति में भी कांग्रेस के संकट मोचक और वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार को उम्मीद है कि संकट टल जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस-जेडीएस के तमाम बागी विधायकों से अपील कर सही निर्णय लेने को कहा है.
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बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में भाग लेने को बाध्य नहीं
गौरतलब है कि बुधवार को अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा था तमाम बागी विधायकों को फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. इसके बाद डीके शिवकुमार ने बागी विधायकों से अपील कर कहा, 'अभी समय है, हमें भरोसा है कि हमारे दोस्तों का दिमाग बेहतर काम करेगा.' हालांकि बागी विधायकों के रुख में बदलाव आने की संभावना न के बराबर है. अभी तक विधायकों के रुख में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिला है.
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कांग्रेस अभी भी दे रही धमकी
यह तब है जब शिवकुमार बागी विधायकों को मनाने मुंबई तक गए, लेकिन उन्हें होटल के बाहर ही इंतजार करना पड़ा. विधायकों ने शिवकुमार से मुलाकात नहीं की. मुंबई से निराश होकर शिवकुमार को बैरंग बेंगलुरू लौटना पड़ा. हालांकि कांग्रेस ने तमाम बागी विधायकों को चेतावनी दी है कि अगर वे पार्टी व्हिप को नहीं मानते हैं, तो अयोग्य करार दे दिया जाएगा, लेकिन बागी विधायकों का कहना है कि उन्हें इस्तीफा देने के बाद सदन में आने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
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गणित कुमार स्वामी के खिलाफ
गौरतलब है कि अगर बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल नहीं होते हैं, तो सदन में बहुमत के लिए 105 विधायकों की जरूरत होगी. जेडीएस-कांग्रेस का गठबंधन 118 से घटकर 100 पर आ जाएगा. वहीं भाजपा दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 107 के आंकड़े पर पहुंच गई है. अगर तमाम बागी विधायकों के इस्तीफों को स्वीकार कर लिया जाता है, तो भी बहुमत का आंकड़ा यही रहेगा. अगर विधायकों को अयोग्य करार दे दिया जाता है तो इन्हें मंत्री बनने के लिए फिर से चुनकर आना होगा. कुल मिलाकर कर्नाटक का नाटक अब अपने अंतिम दृश्य पर है.
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