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Jallikattu Verdict: जल्लीकट्टू पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें शीर्ष अदालत ने क्या कहा

Jallikattu Verdict: जल्लीकट्टू पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें शीर्ष अदालत ने क्या कहा

Updated on: 18 May 2023, 11:54 AM

highlights

  • जल्लीकट्टू और बैल गाड़ियों के खेल पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
  • कोर्ट ने इस खेल की कानूनी मान्यता को बरकरार रखा
  • पांच महीने पहले पांच जलों की पैनल ने सुरक्षित रखा थै फैसला

नई दिल्ली:

Jallikattu Verdict: तमिलनाडु (Tamilnadu) से बड़ी खबर सामने आ रही है.  देश के सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्य में सांडों को वश में करने वाले खेल 'जल्लीकट्टू' की अनुमति देने वाले तमिलनाडु के कानून को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने सांडों को वश में करने वाले खेल जल्लीकट्टू (Jallikattu) के साथ-साथ बैलगाड़ी दौड़ (Bull Taming) की अनुमति देने वाले राज्यों के कानूनों की वैधता को चुनौती देने वाली अन्य सभी याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है. इसे इस खेल से जुड़े लोगों और समुदाय के लोगों के लिए बड़ा फैसला माना जा रहा है. बीते लंबे समय से कोर्ट में इस मामले लेकर लोगों की निगाहें टिकी हुई थीं. 

क्या है मामला?

बता दें कि ये खेल सिर्फ देश के दक्षिण राज्य तमिलनाडु में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में भी खेला जाता है. जल्लीकट्टू और बैल गाड़ियों की दौड़ को लेकर गुरुवार को शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया. इस फैसले में इस खेल से जुड़े कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट ने कायम रखा है. हालांकि इस कानून को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिका दायर की गईं थीं.

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इस में मांग की गई थी कि जानवरों को इस खेल से नुकसान पहुंचता और लोगों की जान को भी खतरा रहता है लिहाजा इस खेल को बंद कर देना चाहिए. वहीं इस मामले पर सुनवाई के लिए पांच जजों की बैंच बैठी थी, जिसने 18 मई को अपना फैसला सुनाया. 

इन जजों की पैनल ने की सुनवाई और सुनाया फैसला
जल्लीकट्टू और बैल गाड़ियों की दौड़ मामले पर सुनवाई करने वाले पांच जजों की पैनल में न्यायधीश केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार प्रमुख रूप से शामिल थे. इस बैंच ने इस पर लगातार सुनवाई के बाद 8 दिसंबर 2022 को यानी पिछले वर्ष ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके बाद करीब 5 महीने के अंतराल से माननीय शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.