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IIT Madras: आईआईटी मद्रास कैंपस से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. आरोप है कि कैंपस में स्थित स्कूल के छात्रों पर उनके अभिभावकों की परमिशन के बगैर प्रोडक्ट टेस्ट कर दिया गया. बच्चों पर किये गये इस ह्यूम ट्रायल के समान शरीरिक परीक्षण के बाद से बवाल खड़ा हो गया है.
जानकारी के मुताबिक मामले में कुछ अभिभावकों ने ईमेल के माध्यम से शिकायत दाखिल की. उन्होंने बताया कि उनके बच्चों को जूतों के अंदर 'स्मार्ट इनसोल' नामक प्रोडक्ट पहनने के लिए मजबूर किया गया था, जिसे स्मार्टवॉच के साथ कनेक्ट किया गया था. इसके लिए आईआईटी मद्रास के छात्रों और शिक्षकों द्वारा कथित तौर पर बच्चों का शारीरिक परीक्षण भी किया गया था.
इन शिकायतों के बाद 19 अगस्त को जांच बैठाई गई और आईआईटी मद्रास ने एक बयान जारी हुआ. इसमें कहा कि यह पाया गया कि स्टडी से पहले या उसके दौरान किसी भी छात्र के साथ कोई आक्रामक प्रक्रिया नहीं की गई थी और न ही किसी भी छात्र को कोई लिक्विड या सॉलिड पदार्थ दिया गया था.
हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लिया है और प्रारंभिक जांच के बाद स्कूल के प्रिंसिपल को हटा दिया गया और परीक्षण आयोजित करने से पहले अभिभावकों से अनुमति नहीं लेने के लिए आईआईटी मद्रास को चेतावनी जारी करते हुए प्रशासनिक कार्रवाई भी की गई, जिसमें इस स्टडी को उसी दिन 19 अगस्त 2024 को तुरंत रोक दिया गया था.
प्राप्त जानकारी के आधार पर आईआईटी मद्रास प्रशासन ने तथ्यों का पता लगाने के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया. इसके मुताबिक पहले से ही व्यावसायिक रूप से उपलब्ध प्रोडक्ट का उपयोग करके उसकी लागत के प्रभाव और स्मार्ट इनसोल की व्यवहार्यता को समझने के लिए 19 अगस्त 2024 को वना वाणी स्कूल में प्रारंभिक अध्ययन (Initial preliminary study) किया गया था. यह न तो कोई क्लिनिकल ट्रायल था और न ही कोई मेडिकल रिलेटेड डिवाइस का ट्रायल था.
इसमें बच्चों को न तो कोई दवा या उत्तेजक दिए गए थे. महज चलने में आसानी का अध्ययन करने के लिए इकट्ठे किए गए स्मार्ट इनसोल को छात्रों के जूतों के इनसोल के अंदर रखा गया था (अध्ययन प्रत्येक छात्र के लिए 10 मिनट से कम समय तक चला), जिसका मानव शरीर के साथ कोई संपर्क नहीं था. इकट्ठे किए गए इनसोल के साथ, एक व्यावसायिक प्लेटफार्म पर उपलब्ध स्मार्टवॉच का उपयोग अलग से डेटा एकत्र करने के लिए किया गया था. संकाय के अनुसार, यह सिर्फ एक व्यवहार्यता परीक्षण था, ये क्लिनिकल ट्रायल नहीं था इसलिए इसमें किसी तरह की इजाजत की जरूरत नहीं थी.