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हिजाब विवाद( Photo Credit : TWITTER HANDLE)
कर्नाटक हाई कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. अदालत ने पूछा- क्या सरकार ने समय से पहले हिजाब पर रोक लगाने का आदेश दिया था? कोर्ट का कहना है, "एक तरफ आप (राज्य) कहते हैं कि उच्च स्तरीय समिति इस मुद्दे की जांच कर रही है. दूसरी तरफ, आप यह आदेश जारी करते हैं. कोर्ट का कहना है कि क्या यह राज्य द्वारा विरोधाभासी रुख नहीं होगा. सीनियर एडवोकेट एएम डार ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट की आपत्ति को देखते हुए उन्होंने 5 छात्राओं की ओर से नई याचिका दायर की है. कोर्ट याचिका पर 21 फरवरी को सुनवाई करेगी.
Hijab matter | Advocate General representing Karnataka government says the state govt has ordered that the students should wear uniforms prescribed by colleges.
— ANI (@ANI) February 18, 2022
The state government does not want to intervene in religious matters, he adds.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से लाइव-स्ट्रीमिंग कार्यवाही को बंद करने और निलंबित करने का आग्रह किया. कुमार का कहना है कि लाइव स्ट्रीमिंग उल्टा हो गया है. कर्नाटक एचसी का कहना है कि लोगों को सुनने दें कि उत्तरदाताओं का क्या रुख है.
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कर्नाटक उच्च न्यायालय में हिजाब विवाद पर कर्नाटक राज्य की ओर से एडवोकेट जनरल ने बहस शुरू की. उनका कहना है कि राज्य सरकार ने यह स्टैंड लिया है कि हिजाब इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के तहत नहीं आता है.
एडवोकेट जनरल ने कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया कि हिजाब पहनने से संबंधित मुद्दे धार्मिक हो गए और इसलिए राज्य के हस्तक्षेप की मांग की गई. उन्होंने कहा कि विरोध और अशांति जारी थी, इसलिए 5 फरवरी का आक्षेपित आदेश पारित किया जाता है.
कर्नाटक सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता का कहना है कि राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि छात्रों को कॉलेजों द्वारा निर्धारित वर्दी पहननी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती.