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DRDO की विशेष ड्रोन-विरोधी तकनीक करेगा प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर की सुरक्षा

आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की सुरक्षा के लिए जल्द ही रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के द्वारा निर्मित ड्रोन-विरोधी तकनीक को तैनात किया जाएगा.

Updated on: 23 Jul 2021, 05:22 PM

highlights

  • एंटी ड्रोन सुरक्षा प्रणाली में जैमिंग और काउंटरमेजर्स
  • रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमिंग के साथ सॉफ्ट किल विकल्प
  • तकनीक में हार्ड किल का भी विकल्प

 

हैदराबाद :

आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमला तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की सुरक्षा के लिए जल्द ही रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के द्वारा निर्मित ड्रोन-विरोधी तकनीक को तैनात किया जाएगा.  बता दें कि देश में मंदिर की सुरक्षा के लिए इस तकनीक को इस्तेमाल करने वाला तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) देश का पहला मंदिर प्रशासन बन गया है. गौरतलब है कि जून में जम्मू में वायु सेना के कैंप पर ड्रोन से आतंकी हमले के बाद DRDO ने 6 जुलाई को तीनों सेवाओं के लिए कर्नाटक के कोलार में अपने एंटीड्रोन सिस्टम के प्रदर्शन की व्यवस्था की है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के सतर्कता और सुरक्षा विंग के प्रमुख गोपीनाथ जट्टी भी विभिन्न पुलिस विभागों के प्रतिनिधियों के साथ प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे. 

डीआरडीओ (DRDO) द्वारा विकसित यह एंटी ड्रोन सुरक्षा प्रणाली में जैमिंग और काउंटरमेजर्स जैसे तकनीक शामिल है. इस एक प्रणाली को लगाने में लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. परन्तु, बताया जा रहा है कि मंदिर के तरफ से यदि ऐसे 100 सिस्टम या उससे अधिक खरीदने के लिए आर्डर दिया जायेगा तो 22 करोड़ रुपये प्रति सिस्टम में उपलब्ध कराया जाएगा.  डीआरडीओ ने इस तकनीक के निर्माण और विपणन के लिए रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) को नामित किया है. साथ ही उत्पादन बढ़ाने और लागत कम करने के लिए प्रौद्योगिकी भागीदारों के हस्तांतरण के लिए अन्य शीर्ष कंपनियों के साथ भी बातचीत की जा रही है. 

इस प्रणाली में रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमिंग सुविधा उपलब्ध है जिसके सहायता से "सॉफ्ट किल" विकल्पों के साथ 4 किमी दूर से ही पहचान कर ड्रोन के संचार और जीपीएस को निष्क्रिय कर देता है. इसके साथ ही यह रिमोट लोकेटिंग सिस्टम को निष्क्रिय कर देता है. इन दोनों विकल्पों की रेंज 3 किमी है. 

इस तकनीक में "हार्ड किल" का भी विकल्प है जिसके सहायता से यह 150 मीटर से 1 किमी की सीमा में छोटे ड्रोन का पता लगाता है और फिर उसे लक्षित कर नष्ट कर देता है. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के अध्यक्ष और कार्यकारी अधिकारी डॉ के एस जवाहर रेड्डी की सलाह के बाद मंदिर के सतर्कता और सुरक्षा विंग जल्द से जल्द संभव समय सीमा के भीतर सिस्टम को तैनात करने की उम्मीद कर रहा है.