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संकट में कर्नाटक सरकारः कांग्रेस ने व्हिप का मुद्दा उठाते हुए विश्वास मत टालने की मांग की

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग की.

Updated on: 18 Jul 2019, 05:05 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव को टालने की मांग करते हुए गुरुवार को कहा कि प्रदेश के सियासी संकट को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष जब तक व्हिप के मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेते तब तक के लिये इसे अमल में न लाया जाए. कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि मुंबई में ठहरे 15 बागी विधायक उच्चतम न्यायालय के आदेश से प्रभावित हैं कि वे विधानसभा की कार्यवाही से दूर रह सकते हैं और विधानसभाध्यक्ष के आर रमेश से कहा कि वे कांग्रेस विधायक दल के नेता के तौर पर जारी व्हिप के भविष्य को लेकर कोई फैसला दें.

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सदन में विश्वास मत पर जैसे ही चर्चा शुरू हुई सिद्धारमैया ने अध्यक्ष से कहा, “अगर यह प्रस्ताव लिया जाता है तो यह संवैधानिक नहीं होगा. यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है. मैं आपसे इसे टालने का अनुरोध करता हूं. मैं इस व्यवस्था के विषय पर आपका फैसला चाहता हूं.” सिद्धरमैया ने कहा कि अगर प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाता है तो इसका राज्य में संवैधानिक रूप से बनी सरकार पर असर होगा क्योंकि विश्वास मत के दौरान 15 विधायक सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं.

पिछले करीब दो हफ्ते से कर्नाटक में जारी सियासी ड्रामे के बीच मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया. सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन के 16 विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी की सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस बीच, कुमारस्वामी ने एक वाक्य का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन उनके नेतृत्व वाली 14 महीने पुरानी सरकार में विश्वास व्यक्त करता है.

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विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करते हुए कुमारस्वामी ने कहा कि बागी विधायकों ने गठबंधन सरकार को लेकर पूरे देश में संदेह पैदा कर दिया और हमें सच्चाई बतानी है. उन्होंने कहा, पूरा देश कर्नाटक के घटनाक्रम को देख रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा, उनके (बागी विधायकों के) इस्तीफे तो एक वाक्य में थे कि उनका इस्तीफा वाजिब और स्वेच्छा से दिया हुआ है, जबकि उच्चतम न्यायालय में उन्होंने कहा कि राज्य भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है. जैसे ही सदन में विश्वास मत का प्रस्ताव पेश किया गया विपक्षी भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा ने खड़े होकर कहा कि विश्वास मत की प्रक्रिया एक ही दिन में पूरी की जानी चाहिए.

कुमारस्वामी ने येदियुरप्पा पर कटाक्ष करते हुए कहा, लगता है नेता प्रतिपक्ष जल्दबाजी में हैं. बताया जा रहा है कि भाजपा को इस बात की आशंका है कि सत्तारूढ़ गठबंधन चर्चा को ज्यादा से ज्यादा लंबा खींच सकता है ताकि उसे विश्वास मत पर मतदान से पहले ज्यादा से ज्यादा संख्याबल जुटाने का समय मिल सके. सत्तारूढ़ गठबंधन की मुश्किलें उस वक्त और बढ़ गईं जब कांग्रेस के एक अन्य विधायक श्रीमंत पाटिल सदन से गैर-हाजिर दिखे. उनके बारे में ऐसी खबरें आ रही हैं कि उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

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गौरतलब है कि 12 बागी विधायक मुंबई के ही एक होटल में ठहरे हुए हैं. कांग्रेस-जद(एस) सरकार को समर्थन दे रहे बसपा विधायक महेश भी सदन में नहीं आए. उनके बारे में खबरें आ रही हैं कि वह सदन से गैर-हाजिर इसलिए हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास मत पर कोई रुख तय करने को लेकर पार्टी प्रमुख मायावती से कोई निर्देश नहीं मिला है.

शक्ति परीक्षण से एक दिन पहले गठबंधन को थोड़ी राहत देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामालिंगा रेड्डी ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ रहेंगे और विश्वास मत पर मतदान के दौरान सरकार का समर्थन करेंगे. प्रस्ताव पेश करने के बाद जब कुमारस्वामी ने अपना संबोधन शुरू किया तो कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कर्नाटक राजनीतिक संकट को लेकर बुधवार को उच्चतम न्यायालय की ओर से दिए गए आदेश के बाबत व्यवस्था का बिंदु उठाते हुए कहा कि इस आदेश ने व्हिप जारी करने के उनके अधिकार में दखल दिया है.

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उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने व्हिप के बारे में कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन यह कहा कि 15 बागी विधायकों को सत्र में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और इस पर फैसला लेने का विकल्प उन पर छोड़ दिया गया. सिद्धरमैया ने कहा, यह (अदालत का आदेश) संविधान (दल बदल निरोधक कानून) की 10वीं अनुसूची के तहत व्हिप जारी करने के मेरे अधिकार में दखलंदाजी है.

पूर्व मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों के बीच बार-बार तीखी नोंकझोंक होती रही. भाजपा सदस्यों ने आरोप लगाया कि सिद्धरमैया की ओर से उठाए गए मुद्दे चर्चा को लंबा खींचने और विश्वास मत में देरी करने की कोशिश है. कांग्रेस और भाजपा ने अपने जिन विधायकों को दूसरे पाले में जाने से बचाने के लिए शहर के रिजॉर्टों में रखा था वे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से कुछ ही देर पहले बसों में सवार होकर विधानसभा परिसर पहुंचे.

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विश्वास मत से पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष येदियुरप्पा ने भरोसा जताया कि यह प्रस्ताव गिर जाएगा. येदियुरप्पा ने कहा, मैं नहीं जानता कि उनकी पार्टी कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन) क्या करने वाली है, लेकिन हम 105 हैं. वे 100 से कम होंगे. हमें 100 फीसदी यकीन है कि विश्वास मत गिर जाएगा. शक्ति परीक्षण ऐसे समय में हो रहा है जब कल ही उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया कि कांग्रेस-जद(एस) के 15 बागी विधायकों को विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्यवाहियों में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.