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विशाखापत्तनम में जहरीली गैस लीक से मची तबाही, ताले तोड़कर लोगों को निकाला जा रहा बाहर

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोपालपट्टन इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लोगों को ताले तोड़कर घरों से बाहर निकाला जा रहा है. साथ ही 5 गांव को खाली करा दिया गया है.

Updated on: 07 May 2020, 02:12 PM

नई दिल्ली:

विशाखापत्तनम में जहरीली गैस सिराव से कई लोगों की जान दाव पर लगी हुई है. इससे अब तक 8 लोगों की मौत हो गई है जबकि 150 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसी के साथ फैक्ट्री में फंसे कई लोगों को बाहर निकाल लिया गया है और पूरे इलाके को सील कर दिया गया है.मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जहरीली गैस के रिसाव के कारण सैंकड़ों लोग फैक्ट्री में फंस गए. इसमें कई लोग बेहोश हो गए तो कई लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोपालपट्टन इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. लोगों को ताले तोड़कर घरों से बाहर निकाला जा रहा है. साथ ही 5 गांव को खाली करा दिया गया है.

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बता दें, आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के विजाग में गुरुवार तड़के एक केमिकल यूनिट में गैस रिसाव (Gas Leak) ने भोपाल गैस त्रासदी का भयावह मंजर ताजा कर दिया. खबर लिखे जाने तक जहरीली गैस (Poisonous Gas) के रिसाव से एक नाबालिग सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी और 70 से अधिक लोग बेहोश हैं.

गैस से प्रभावितों का आंकड़ा कई हजार में है. इस गैस रिसाव की जद में आसपास के कई किलोमीटर का दायरा आया है, जिसकी चपेट में आधा दर्जन गांव आए हैं. इस दुर्घटना ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) की याद दिला दी है. गुरुवार तड़के आरआर वेंकटपुरम में सुबह का नजारा दिल दहलाने वाला था. सड़क पर, नालों में लोग बेहोश पड़े हुए थे.

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सोते लोगों पर हुआ गैस का असर

गैस 5,000 टन के दो टैंकों से लीक हुई. यह फैक्ट्री मार्च से कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद थी. इसके चलते केमिकल रिएक्शन हुआ और टैंकों के अंदर गर्मी बनी जिसकी वजह से रिसाव हुआ. गैस रिसाव के समय आसपास के क्षेत्रों में लोग अपने घरों में सो रहे थे. तभी अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई. सुबह कई स्थानों पर जहां एक ओर लोग बेहोश पड़े दिखे, तो वहीं सड़क किनारे मृत मवेशी भी नजर आए. बच्चों को कंधे पर रखकर घबराए लोग अस्पतालों की ओर भागते दिखे. कोरोना लॉकडाउन की वजह से घटना की जानकारी आसपास के लोगों को देर से मिली और इसी कारण राहत का काम भी देर से शुरू हुआ.