बेंगलुरु के पास रामानगर जिले के कोनमुद्दनहल्ली गांव के निवासियों को मजबूरन एक बुजुर्ग के शव का सड़क किनारे अंतिम संस्कार करना पड़ा, क्योंकि श्मशान घाट की सुविधा मौजूद नहीं थी. बता दें कि, मृतक, 65 वर्षीय रुद्रय्या का रविवार की सुबह निधन हो गया, जिसके बाद श्मशान घाट की सुविधा में कमी के चलते ये घटना पेश आई. वहीं एक ग्रामीण ने मामले की ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि, तहसीलदार, डिप्टी कमिश्नर और निर्वाचित प्रतिनिधियों सहित स्थानीय अधिकारियों से कई अपील के बावजूद, श्मशान की सुविधा नहीं मिल सकी, लिहाजा उन्हें मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा.
ग्रामीणों को मौखिक रूप से गांव के कल्याणी (तालाब) के सामने अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया गया था, हालांकि इस अनौपचारिक व्यवस्था को लेकर ग्रामिणों और प्रशासन के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई है.
ग्रामीणों को दी सख्त चेतावनी
गौरतलब है कि, ग्रामीणों ने कल्याणी के सामने निर्दिष्ट क्षेत्र में रुद्रैया का दाह संस्कार करने का प्रयास किया था. मगर एक व्यक्ति ने इसपर आपत्ती जाहिर की, जिसने भूमि के स्वामित्व का दावा करते हुए तमाम दस्तावेज भी पेश किए और ग्रामीणों को दाह संस्कार के लिए जगह का इस्तेमाल करने के खिलाफ सख्त चेतावनी दी.
इसके बाद कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं होने के कारण, ग्रामीणों ने सड़क के किनारे रुद्रैया के शव का अंतिम संस्कार करने का फैसला किया.
गौरतलब है कि, गांव के 250 परिवारों में से आधे के पास अंतिम संस्कार के लिए अपनी ज़मीन नहीं है. ग्रामीणों ने श्मशान के लिए उपयुक्त सरकारी भूमि के एक टुकड़े की पहचान की थी और सहायक दस्तावेजों के साथ अधिकारियों को यह जानकारी दी थी, लेकिन, उनके प्रयासों को नजरअंदाज कर दिया गया है.
ग्रामिणों की मांग पर नहीं हो रही कार्रवाई
कूटगल ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के सोमशेखर के मुताबिक, सरकार ने 13 गुंठा (1315.2 वर्ग मीटर) भूमि आवंटित की थी, लेकिन उस पर पहले से ही एक अन्य व्यक्ति ने कब्जा कर लिया था और दावा किया था कि यह उसकी अपनी भूमि है. उन्होंने आगे बताया कि, ग्रामीण कब्रिस्तानों के लिए अन्य भूमि स्वीकृत करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन राजस्व अधिकारियों ने अभी तक मांग पर कार्रवाई नहीं की है.
Source : News Nation Bureau