राजस्थान में वसुंधरा राजे क्यों चला रहीं भाजपा के समानांतर कार्यक्रम?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे महामारी के समय में भी भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने बढ़ते मतभेदों को उजागर करते हुए पार्टी के समानांतर एक ट्रैक पर चलती दिख रही हैं. वह भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों से बचती नजर आ रही हैं.
जयपुर:
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे महामारी के समय में भी भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने बढ़ते मतभेदों को उजागर करते हुए पार्टी के समानांतर एक ट्रैक पर चलती दिख रही हैं. वह भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों से बचती नजर आ रही हैं और अपने एकल बैनर तले आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों का प्रचार कर रही हैं. बात चाहे राज्य के अलग-अलग हिस्सों में खाना-पानी बांटने की हो या वर्चुअल पार्टी की बैठकों में शामिल होने की, इन सभी कार्यक्रमों में राजे और उनकी टीम के सदस्य 'ब्रांड राजे' का प्रचार करते नजर आ रहे हैं.
हाल ही में राजे और टीम ने जरूरतमंदों को भोजन और पानी वितरित करने के उद्देश्य से राज्य के विभिन्न हिस्सों में 'वसुंधरा जन रसोई' अभियान चलाया, जिसमें न तो भाजपा का प्रतीक 'कमल' और न ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें दिखाई दीं. इस आयोजन को शुरू करने के लिए चुना गया समय काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर मोदी सरकार के सात वर्ष मनाने के लिए पार्टी 'सेवा ही संगठन' नामक एक समान अभियान चला रही है. भाजपा के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने सवाल किया, "तो इस महामारी के दौरान राजे को अपने नाम से इस अभियान को शुरू करने की क्या जरूरत है."
उन्होंने सवाल किया कि चूंकि दोनों कार्यक्रमों का उद्देश्य एक ही है, इसलिए उन्हें रेगिस्तानी राज्य में दो अलग-अलग बैनरों के नीचे क्यों चलाया जा रहा है. शुक्रवार को राजे के वफादार विधायक कालीचरण सराफ ने वसुंधरा जन रसोई के तहत जयपुर में जरूरतमंदों को भोजन बांटा. इसी दिन सांसद मनोज राजौरिया ने भी करौली में इस अभियान का उद्घाटन किया और जरूरतमंदों को भोजन के पैकेट बांटे. दरअसल, राजे का प्रचार हाल ही में सवाई माधोपुर में भी शुरू हुआ था, लेकिन सभी खेमों में एक बात समान थी- उनमें से किसी में भी बीजेपी का कोई चिन्ह या पीएम मोदी या किसी अन्य नेता की कोई तस्वीर नहीं थी, लेकिन केंद्र में राजे की तस्वीर दिख रही थी.
राजे द्वारा अपना अभियान शुरू करने के इस प्रयास के अलावा, अन्य मुद्दों पर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है, जिसमें पार्टी कार्यालय से उनकी लगातार अनुपस्थिति, राज्य में हाल ही में तीन सीटों पर हुए उपचुनाव के प्रचार के दौरान उनकी दूरी शामिल है. हाल ही में, भाजपा विधायक गौतमलाल मीणा का निधन हो गया और सभी सांसदों और विधायकों ने दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए एक आभासी बैठक में भाग लिया लेकिन राजे इस बैठक से अनुपस्थित रहीं. मीणा के निधन पर शोक जताते हुए उनकी मीडिया टीम ने एक अलग संदेश साझा किया.
वास्तव में वसुंधरा राजे टीम 2023 नामक एक समूह पिछले कुछ महीनों से सक्रिय रूप से फेसबुक पर राजे को सीएम चेहरा बनाने की मांग कर रहा था, जिसे हाल ही में ब्लॉक कर दिया गया था. हालांकि 26 मई को ग्रुप एडमिन ने फेसबुक वॉल पर लिखा कि क्या ग्रुप को दोबारा शुरू किया जाए. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ खास कारणों से ग्रुप को ब्लॉक किया गया था, जबकि फोलोवर्स ने ग्रुप को फिर से शुरू करने की इच्छा व्यक्त की. राजे इन दिनों झालावाड़ कार्यकर्ताओं की वर्चुअल मीटिंग में शामिल हो रही हैं और उन सीटों का खास ख्याल रख रही हैं, क्योंकि वह विधायक हैं जबकि उनके बेटे दुष्यंत सिंह सांसद हैं.
साथ ही उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए राजस्थान में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला बोला था. वह सभी ज्वलंत मुद्दों पर भी काफी मुखर हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा कि वसुंधरा राजे पार्टी की वरिष्ठ कार्यकर्ता रही हैं और हम सभी उनका सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व ही इन सभी मुद्दों पर बोल सकता है, क्योंकि वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.
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