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जब महिला चिकित्सालय में हो गई बच्चे की अदला-बदली, आगे का नजारा देख आप भी रह जाएंगे हैरान

जयपुर के सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय में बच्चे अदला-बदली का मामला सामने आया है.. दुनिया देखने के बाद दो मासूम कुछ इस तरह भटक रहे हैं उन्हें अपनी मां का आंचल भी नसीब नहीं हो रहा. कोख में 9 महीने पहले वाली मां एक पल भी अपने बच्चे को दूर होता नहीं दे

Updated on: 07 Sep 2022, 11:43 AM

नई दिल्ली :

जयपुर के सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय में बच्चे अदला-बदली का मामला सामने आया है.. दुनिया देखने के बाद दो मासूम कुछ इस तरह भटक रहे हैं उन्हें अपनी मां का आंचल भी नसीब नहीं हो रहा. कोख में 9 महीने पहले वाली मां एक पल भी अपने बच्चे को दूर होता नहीं देख सकती. वह 4 दिन से अपने बच्चे को देखने के लिए खून के आंसू रो रही है. मामला जयपुर के सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय का है. जहां 4 दिन बीत जाने के बाद भी रेशमा और निशा को उनके बच्चों से दूर रखा गया है. मासूम बच्चों को मां के दूध की जगह पाउडर के दूध पर जिंदा रहना पड़ रहा है. दोनों परिवार बेटे को लेना चाहते हैं और बेटी को कोई अपनाना नहीं चाहता है. इस घटनाक्रम में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही  को उजागर करते हुए समाज से बेटियों को लेकर फैली घिनौनी सोच को उजागर करती है.

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दरसल मामला 1 सितंबर का है जहां रेशमा और निशा की अस्पताल में डिलीवरी हुई. इसके बाद अस्पताल द्वारा रेशमा को लड़का होना बताया गया. निशा को बताया गया कि उसके लड़की पैदा हुई है. इस दौरान निशा और रेशमा अस्पताल में भर्ती रही. 3 दिन बाद अस्पताल द्वारा रेशमा और निशा को बच्चों की जांच की बात कही गई. जांच को लेकर जब रेशमा और निशा डॉक्टर के पास पहुंची. तब डॉक्टर द्वारा रेशमा को लड़की होने की बात कही गई. डॉक्टर द्वारा गलती से इस मांग को लड़का देने की बात कही गई. जबकि निशा को कहा गया आप के लड़का हुआ है गलती से लड़की दे दी गई है. अब अस्पताल द्वारा इस लापरवाही का खामियाजा दोनों मासूम बच्चों को उठाना पड़ा रहा है. जिसके कारण दोनों नवजातो को अपनी मां का आंचल नसीब नहीं हो रहा. 

दोनों नवजात बच्चे बीते 4 दिन से आईसीयू में भर्ती हैं. अस्पताल प्रशासन तय नहीं कर पा रहा कि निशा और रेशमा का कौन सा बच्चा है. वही दोनों ही परिवार लड़के को लेने की बात कर रहे हैं.  इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की ओर से जांच कमेटी बनाई गई. जो अभी तक जांच भी नहीं कर पाई है. ब्लड ग्रुप के आधार पर बच्चों के सैंपल लिए गए हैं. इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन चुप्पी साधे हुआ है.