राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं,उससे घबराना नहीं चाहिए : CM अशोक गहलोत
यही भारतीय जनता पार्टी जो आज सत्ता में हैं, इनको 542 में से सिर्फ 2 सीटें मिली थीं पार्लियामेंट में, सिर्फ 2 सीटें, वो भी दिन हमने देखा है।
नई दिल्ली:
पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद से कांग्रेस के अंदर हलचल है. राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. कांग्रेस कार्यसमिति (CWC)की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई. चुनावों में खराब प्रदर्शन के चलते कांग्रेस का असंतुष्ट गुट एक बार फिर पार्टी हाईकमान पर सवाल उठाने लगा है. चुनावी राजनीति में कांग्रेस कमजोर होते प्रदर्शन पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अजय शर्मा की बातचीत का प्रमुख अंश :
सवाल- 5 राज्यों के नतीजे आए हैं और आज सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई है, कांग्रेस को काफी बड़ी शिकस्त मिली है, पंजाब में जिस तरह से आम आदमी पार्टी का आना हुआ है, कैसे देखते हैं?
अशोक गहलोत- देखिए राजनीति में कई तरह की परिस्थिति बन जाती हैं, उससे घबराना नहीं चाहिए और बहुत ही हम लोगों ने लंबे समय से देखा है, उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, यही भारतीय जनता पार्टी जो आज सत्ता में हैं, इनको 542 में से सिर्फ 2 सीटें मिली थीं पार्लियामेंट में, सिर्फ 2 सीटें, वो भी दिन हमने देखा है। इसलिए चुनाव में हार-जीत होती रहती है, हम उनसे घबराते नहीं हैं और कांग्रेस का इतना लंबा अनुभव है देश के लिए, आजादी के पहले का भी, बाद का भी, कांग्रेस का कैडर घबराने वाला नहीं है, अभी दमखम है कार्यकर्ताओं में भी, वो स्थितियां समझता है। ये कोई जीत है क्या? आप अगर धर्म के नाम पर राजनीति करो, ध्रुवीकरण कर दो, उसके बाद में क्या बचता है? देश के अंदर आप हिंदुत्व, ध्रुवीकरण, ये करके कुछ भी कर सकते हो, महानता उसके अंदर है कि आप धर्मनिरपेक्षता की बात करो, सबको साथ लेकर चने की बात करो, सभी धर्म, ये संदेश है हमारे देश का, हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई-पारसी-जैन, जातियां हैं हमारे यहां पर, हम लोग इन सबको साथ लेकर चलेंगे देश के अंदर, तभी तो देश एक रहेगा, अखंड रहेगा और अगर हम लोग जातिवाद फैलाएंगे, धर्म के नाम पर राजनीति करेंगे और ध्रुवीकरण कर देंगे राजनीति का, क्या बचता है? ये सीना फुला-फुलाकर जो बातें करते हैं न नेता लोग बीजेपी के, इनमें क्या नैतिक बल है इनमें? जो लोग ध्रुवीकरण करके राजनीति कर रहे हैं देश को बर्बाद कर रहे हैं, उनकी हम चिंता करेंगे क्या? अल्टीमेटली जीत सत्य की होगी और सत्य कांग्रेस के साथ में है। जहां इंदिरा जी ने जान दे दी अपनी, पर खालिस्तान नहीं बनने दिया, राजीव गांधी ने जान दे दी अपनी, शहीद हो गए देश के लिए, सरदार बेअंत सिंह जी थे, वो शहीद हो गए, परंतु नेस्तेनाबूत कर दिया आतंकवाद को। ये नई पीढ़ी को गुमराह कर रहे हैं जिस रूप में, नई पीढ़ी को चाहिए कि वो ध्यान रखे इन बातों का क्योंकि कल का भविष्य देश का नई पीढ़ी के कंधों पर है, मुझे चिंता उसकी है क्योंकि मीडिया पूरा इनके दबाव के अंदर है, मीडिया इनका साथ दे रहा है, इसलिए आज नई पीढ़ी ग़ुमराह हो रही है, उसकी चिंता हम लोगों को है। बाकी सत्ता में तो, आती है सत्ता, सरकारें बनती हैं, नहीं बनती हैं, चलता रहता है, उसमें राहुल गांधी जी ने कभी परवाह नहीं की। आप देखते हो कि जिस रूप में उनकी सोच है, आज अकेला व्यक्ति दमखम के साथ में नरेंद्र मोदी जी का मुकाबला कर रहा है और नरेंद्र मोदी जी को भी राहुल गांधी जी को टार्गेट करके ही अपनी स्पीच शुरू करनी पड़ती है और उसका अंत करना पड़ता है। आप समझ सकते हो कि इसका क्या मतलब है, अगर देश का प्रधानमंत्री भी राहुल गांधी को ट्वीट करे, या उसके ऊपर अटैक करे, उनको टारगेट करके फिर अपना राजनीतिक भाषण शुरू करे और परिवारवाद की बात करे, राहुल गांधी जी भी सवाल पूछते हैं उनको कि कितने परिवारवाद वाले लोगों को आपने ले लिया, प्रियंका जी ने कहा कि कितने परिवारवादी लोगों को आपने एक्सेप्ट किया है कांग्रेस से अपनी पार्टी में? क्यों किया फिर आपने? तो ये तमाम बातें जो हैं, ये कथनी व करनी में अंतर बताता है इन लोगों का। मीडिया के माध्यम से राजनीति हो रही है देश के अंदर, लोकतंत्र की हत्या हो रही है, संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, सारी एजेंसियां इनकी दबाव के अंदर हैं, सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी, ज्यूडीशियरी, प्रधानमंत्री जी बोल रहे थे 3 दिन पहले, इन एजेंसियों को बदनाम कर रही हैं विपक्षी पार्टियां, बताइए बदनाम कर रहे हैं हम लोग? पूरे देश में आतंक मचा रखा है इन एजेंसियों ने इनके इशारे पर, गृह मंत्रालय मॉनिटरिंग करता है पूरी इनकी, तब जाकर ये एजेंसियां मजबूरी के अंदर, एजेंसी में इतने अच्छे लोग बैठे हुए हैं वो नहीं चाहते छापा डालना, रेड डालना, ऐसे लोग भी हैं, 7-7 दिन तक जाकर घरों में बैठ जाओ इनके, जिनके घरों में छापे पड़ते हैं, 7 दिन तक वहीं बैठे रहो, कुछ मिला ही नहीं वहां पर, भई आप यहां क्यों बैठे हुए हो, कहते हैं कि जब तक ऊपर से आदेश नहीं आएगा, तब तक हम बाहर निकलेंगे ही नहीं आपके घर से। जिस मुल्क में ये हालात बन जाएं, उसके लिए प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि विपक्षी पार्टियां इन एजेंसियों को बदनाम कर रही हैं, आप बताइए। तो देश किस दिशा में जा रहा है, किस दिशा में जाएगा, ये बहुत ही चिंता वाली बात प्रत्येक नागरिक के लिए होनी चाहिए ये मेरा मानना है।
सवाल- चुनाव में हमने देखा कि जैसे रोटी-कपड़ा-मकान-स्वास्थ्य से रोजगार बातें होनी चाहिए थीं, वो मुद्दे पीछे छूट गए और केवल इमोशनल इश्यूज पर चुनाव लड़े गए?
अशोक गहलोत- यही हुआ है, सब जगह यही हुआ है, यही हुआ है, बिलकुल ठीक है। नॉन-इश्यू को इश्यू को बनाते हैं ये लोग, नॉन-इश्यू को इश्यू बनाकर धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करके आप राजनीति कर रहे हो। तो इसलिए मैं समझता हूं कि कुछ गलतियां हमसे भी हुई हैं, पंजाब के अंदर आपस में ही कांग्रेस की आपस में जो नाइत्तेफाकी हुई, या आपस में जो आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे, तो जनता ने स्वीकार नहीं किया इन बातों को। कांग्रेस की नीतियों को, उसके कार्यक्रमों को, सिद्धांतों को अस्वीकार नहीं किया है देश के अंदर कहीं पर भी किसी राज्य के अंदर भी, पर जो लोकल स्थितियां होती हैं, उसके अनुसार वोटिंग पैटर्न होता है, उसी रूप में पंजाब के हालात हमारे सामने हैं। हम जीत रहे थे चुनाव वहां पर, मिस्टर चन्नी ने अच्छे मैसेज दिए थे, पर माहौल ऐसा बन गया वहां पर, आप पार्टी का उदय हो गया वहां पर। पर मेरा मानना है कि आज भी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस पार्टी है, जिसकी चौकियां, जिसकी इकाइयां पूरे देश के हर गांव में, हर घर के अंदर हैं, देश उम्मीद करता है कि कांग्रेस मजबूत होकर उभरकर आए, बल्कि देश चिंतित है आज कांग्रेस को लेकर, मेरा मानना है, मेरा अनुभव है कि लोग जिस रूप में सोच रहे हैं आम नागरिक, वो सोचता है कि देश में कांग्रेस मजबूत होकर उभरकर आए और मुख्य विपक्षी दल आज है, कल सरकार में भी हम लोग आएंगे, ये हमें कॉन्फिडेंस है क्योंकि अल्टीमेटली जो महात्मा गांधी के जमाने के जो सिद्धांत हैं, जो नीतियां हैं, जो कार्यक्रम हैं, वो इस देश को एक रख सकते हैं, अखंड रख सकते हैं, आगे बढ़ा सकते हैं और अनुभव कहता है 70 साल का, आज जहां हम पहुंचे हैं 70 साल में, क्या था 70 साल के पहले? न लोग समझते थे कि बिजली क्या होती है, पानी की कोई योजनाएं नहीं थीं, न शिक्षा, न स्वास्थ्य, न सड़कें थीं, तो उस मुल्क को आज बनाया तो कांग्रेस ने बनाया है, ये देश जानता है।
सवाल- ममता बनर्जी ने कहा है कि ये चुनाव की जीत जो है वो ईवीएम की जीत है?
अशोक गहलोत- मैं इन बातों पर नहीं जाना चाहता, मैं तो ये बात मानता हूं कि जिस रूप में, ईवीएम की बात अगर उन्होंने कही ममता बनर्जी जी ने कही तो सोच-समझकर कही होगी, तो मेरा मानना ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने अगर सुब्रहमण्यम स्वामी जी के जो केस उन्होंने किया था, उसके आधार पर अगर सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट का प्रोविजन किया मशीनों के अंदर, ईवीएम की मशीनों के अंदर, इसके मायने हैं कि सुप्रीम कोर्ट मान गया कि मशीनों में गड़बड़ हो सकती है। मैं इसको इस चुनाव के परिणामों से नहीं जोड़ रहा हूं, पर मैं कहना चाहूंगा कि आज देश को विश्वास क्यों नहीं है मशीनों पर? इसका समाधान भी इलेक्शन कमीशन को करना चाहिए। जब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि वीवीपैट लगाओ, तो prima facie ही सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया कि मशीनों में टेंपरिंग हो सकती है, मान लिया। जब मान लिया है, तो उसका समाधान होना चाहिए, वीवीपैट समाधान नहीं हो सकता है। अगर मशीनों में टैंपरिंग हो सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने माना है, तभी वीवीपैट को अलाऊ किया है और वीवीपैट के बाद में भी शिकायत वो की वो रही है। तो यह एक बहस का विषय है देश के अंदर, दुनिया के मुल्कों में जहां ईवीएम आई थी, ईवीएम को विड्रॉ कर लिया उन्होंने और बैलेट पेपर से वापस चुनाव होने लग गए कई मुल्कों के अंदर दुनिया के अंदर। तो हमारे मुल्क में डेमोक्रेसी कैसे बचे, इसके लिए जो करना है वो करना चाहिए इलेक्शन कमीशन को, उसकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है, दुर्भाग्य से वो भी दबाव के अंदर है इनके, जो बनते हैं इलेक्शन कमिश्नर बनते हैं, चीफ इलेक्शन कमिश्नर बनते हैं, वो दबाव में बनते हैं इनके, दबाव में रहते हैं और उसके कारण से सही फैसले नहीं कर पाते हैं, ये भी एक दुर्भाग्य की बात है।
सवाल- संजय राउत जो शिवसेना के हैं, उन्होंने कहा है कि मायावती और ओवैसी को जो है भारत रत्न और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना चाहिए भाजपा को जिताने के लिए?
अशोक गहलोत- बिलकुल उनकी बात में दम है, बात में दम है, जिस प्रकार से मायावती जी ने खेल खेला है, ये देश उनसे उम्मीद नहीं करता था। हमारे उनसे विचार नहीं मिलते होंगे, परंतु एक विचारधारा को रीप्रजेंट कर रही थीं वो। दलितों का कैसे उद्धार हो और डॉ. अंबेडकर की विचारधारा का कैसे प्रचार-प्रसार हो, जो काशीराम जी जो पूंजी इनको सौंपकर गए थे, आज वो काशीराम जी पर क्या बीत रही होगी स्वर्ग के अंदर। जिस प्रकार से धोखा दिया है बीएसपी को मायावती जी ने और उनके जो मिश्रा जी जो हैं उन्होंने। अपनी पार्टी को खत्म करने के कॉस्ट पर सपोर्ट कर दिया बीजेपी को, नाम ले रहे हैं सपा का नाम ले रहे हैं, बर्बाद इन्होंने किया है, जानबूझकर आत्महत्या की है। मायावती जी ने क्या मजबूरी है यह तो शोध का विषय है, मायावती जी ने अपनी पार्टी को जिस रूप में खत्म किया है, आत्महत्या के रूप में मैं इसको मानता हूं, लाखों जो कार्यकर्ता हैं बीएसपी के देश के अंदर, उन पर क्या बीत रही होगी, वो समय बताएगा और वो बच नहीं सकतीं यह कहकर कि हमें बी टीम बता दिया, इसलिए हम हार गए चुनाव। एक सीट आई है, कभी सोच सकते थे बीएसपी की, जिस बीएसपी के साथ में कांग्रेस ने ब्लंडर किया अलायंस करके, हमारा सबसे बड़ा ब्लंडर यूपी में ये रहा है कि जब हमने 91-92-93 के अंदर जो चुनाव हुए थे उस जमाने के अंदर, उसमें जो हमने बीएसपी के साथ में अलायंस किया और जूनियर पार्टी बनी कांग्रेस, सबसे बड़ी गलती कांग्रेस की उस वक्त हुई, एक तिहाई तो बने कांग्रेस के उम्मीदवार खड़े हुए, दो तिहाई सीटें दी गईं बीएसपी को, दो तिहाई जगहों पर कांग्रेस साफ हो गई, आज तक खड़ी नहीं हो पा रही है। ये तो प्रियंका गांधी जी ने कम से कम ये मैसेज दे दिया देशवासियों को कि लड़ाई लड़ी जा सकती है, अगर आप तय कर लो, चुनाव में हार-जीत अलग बात है, पर आज उन्होंने 403 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए, बहुत बड़ी उपलब्धि मैं मानता हूं उनकी। इस माहौल के अंदर जहां पर 30 साल से कांग्रेस नहीं आ रही है, वहां पर आपने सब सीटों पर खड़े कर दिए उम्मीदवार, आपने 40 पर्सेंट टिकट की बात की महिलाओं को, तो देकर रहीं वो और जिस प्रकार से माहौल बनाया इस चुनाव के अंदर, कैंपेन किया, उसका लोहा पूरा देश मानता है और मैं ये मानता हूं कि प्रियंका जी का कदम बहुत ठीक था और उसके बाद में जो हालात बने हैं वहां पर, आप देख लीजिए कि ध्रुवीकरण किस तरह का हुआ है कि बीएसपी हो, चाहे कांग्रेस हो, जो वोट की पर्सेंटेज है वो बताएगी आपको कि ध्रुवीकरण बहुत बड़े रूप में हुआ है, करीब 100 सीटों पर तो 2 ही पार्टियां रह गईं, सपा और बीजेपी रही है, ये इतना बड़ा ध्रुवीकरण है, इसका मुकाबला हम लोग करेंगे, दमखम हम लोगों में है।
सवाल- सीडब्ल्यूसी की बैठक के बारे में क्या कहेंगे?
अशोक गहलोत- सीडब्ल्यूसी की बैठक सोनिया जी ने टाइमली बुलाई है। वहां बैठकर डिस्कशन करेंगे हम लोग, पोस्टमार्टम भी होगा, आगे कैसे बढ़ना है आगे, नए सिरे से कैसे काम करना है, कहां कमी हमारी दूर करेंगे। किस प्रकार से हम देशवासियों को विश्वास दिलाएं कि कांग्रेस आपके सुख दुख में हमेशा खड़ी रहेगी, यह मेरा मानना है।
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